भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक में चल रहे वार्षिक मराठी साहित्य सम्मेलन में स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर का नाम गायब होने पर आपत्ति जताई। दिवंगत हिंदुत्व विचारक का जन्म 1883 में नासिक के पास भगूर में हुआ था।
सावरकर के नाम पर पंडाल का नाम रखने की मांग
कुछ हलकों की मांग थी कि भुजबल नॉलेज सिटी में आयोजित होने वाले अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में एक पंडाल का नाम सावरकर के नाम पर रखा जाए। इस साल की बैठक के आयोजन में महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा नेता छगन भुजबल शामिल हैं।
फडणवीस ने मुंबई में संवाददाताओं से कहा कि सावरकर ने मराठी साहित्य सम्मेलन और मराठी रंगमंच सम्मेलन दोनों की अध्यक्षता की थी और वह पत्रकार संघ मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष भी रह चुके थे। वह शायद अकेले व्यक्ति होंगे जिन्होंने यह उपलब्धि हासिल की और फिर भी उनका नाम पूरे आयोजन से गायब है।
फडणवीस बोले, सावरकर हमारे लिए आदर्श
पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, वह हमारे लिए एक आदर्श हैं और अगर हमारे आदर्शों का सम्मान नहीं किया जाता है, तो हमें वहां जाने की जहमत क्यों उठानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने साहित्यिक बैठक के स्थान का नाम कुसुमागराज रखने के निर्णय का स्वागत किया है। ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता मराठी कवि स्वर्गीय वीवी शिरवाडकर ने ‘कुसुमागराज’ नाम से कविता लिखी थी।
हम आयोजन स्थल का नाम कुसुमाराज के नाम पर रखने के निर्णय का स्वागत करते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि उनके नाम का इस्तेमाल केवल सावरकर के नाम पर संभावित मांग का मुकाबला करने के लिए किया गया। भाजपा नेता ने कहा कि सावरकर सिर्फ एक स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे। उन्होंने निबंध, नाटक, कविता की रचना की थी, वह व्याकरण के विद्वान और इतिहासकार थे और मराठी में कई नए शब्द पेश किए थे।