उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राजस्थान दौरे पर हैं। उन्होंने मंगलवार को आबूरोड के ब्रह्माकुमारीज संस्थान के 85वें वार्षिक महोत्सव में हिस्सा लिया। इसके बाद दोपहर सवा तीन बजे वह राजसमंद के नाथद्वारा के श्रीनाथजी में मंदिर पहुंचे और भगवान श्रीनाथजी के दर्शन किए। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सूर्य ग्रहण के दौरान उप राष्ट्रपति धनखड़ ने भगवान श्रीनाथजी के दर्शन कैसे किए, क्योंकि इस दौरान तो मंदिरों के पद बंद रहते हैं। आइए जानते अब हैं इस सवाल का जवाब…।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राजस्थान के नाथद्वारा का श्रीनाथजी एक ऐसा मंदिर है जहां सूर्यग्रहण के दौरान भी भगवान के दर्शन होते हैं और यह परंपरा कई साल से चली आ रही है। जबकि ग्रहण के दौरान अन्य मंदिरों में पट बंद रहते हैं, लेकिन पुष्टिमार्ग की प्रधान पीठ श्रीनाथ जी मंदिर में होने के कारण यहां पट बंद नहीं किए जाते हैं। पुष्टिमार्गीय की यह परंपरा कई साल से चली आ रही है।
हालांकि, सूर्य ग्रहण के दौरान भक्त सिर्फ दर्शन कर सकते हैं, मंदिर की अन्य सेवाएं पूरी तरह से बंद रहती हैं। भगवान को लगाया जाने वाला भोग लोगों में वितरित नहीं किया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद सामग्री गयों के लिए गौशालाओं भेज दी जाती है। सिर्फ ग्रहण के दौरान की दर्शन होते हैं उसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं।
पुष्टिमार्गीय संप्रदाय में प्रभु श्रीनाथजी को निकुंज नायक का रूप माना जाता है। जिस तरह प्रभु ने गोवर्धन गिरिराज को धारण किया था और वैष्णव व ब्रज जन की इंद्र के कोप से रक्षा की थी। उसी प्रकार ग्रहण काल में ग्रहण के दोष से अपनी हवेली में दर्शन देकर उनकी रक्षा करते हैं।
नाथद्वारा में श्रीनाथजी के दर्शन करने के बाद उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ विश्वास स्वरुपम परिसर पहुंचे जहां दुनिया की सबसे ऊंची शिव प्रतिमा बनाई गई है।