रामपुर तिराहा कांड: बचाव पक्ष की दलील, आरोपियों को किया जाए दोषमुक्त

मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड में पीड़ितों से हथियारों की फर्जी बरामदगी के मामले में बचाव पक्ष की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि उन्हें सीआरपीसी की धारा 468 के अंतर्गत दोषमुक्त करार दिया जाए। वह नहीं जानते कि सीबीआई ने उन्हें कब आरोपी बना दिया। अपर सिविल जज सीनियर डिवीजन प्रथम/ विशेष न्यायालय सीबीआई ने मामले की सुनवाई की। अगली सुनवाई 17 मई को होगी।

उत्तराखंड संघर्ष समिति के अधिवक्ता अनुराग वर्मा ने बताया कि सीबीआई बनाम बृज किशोर की पत्रावली में बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा ने प्रार्थना पत्र दिया। पत्रावली में आरोपी बृज किशोर, उमेश कुमार और अनिल कुमार ने प्रार्थना पत्र के माध्यम से कहा कि सीबीआई ने उनसे कोई पूछताछ नहीं की। बयान भी नहीं लिए। सीबीआई ने अभियुक्तों को गिरफ्तार भी नहीं किया।

पत्रावली पर कोई प्रमाण नहीं है।प्रकरण के 13 साल बाद 24 मई 2007 को उन्हें आरोपी बनाया गया है। जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें अधिक से अधिक तीन साल की सजा का प्रावधान है। आरोप तीन साल के अंदर आरोपित किए जाने चाहिए थे, लेकिन यह 13 साल बाद आरोपित किए गए। यह गैरकानूनी है। इसी वजह से उन्हें दोषमुक्त किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि शामली के झिंझाना थाने के तत्कालीन इंस्पेक्टर रहे बृज किशोर मुख्य आरोपी है।

क्या था मामला
एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया था। पुलिस की फायरिंग में सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने जांच की। अलग-अलग मामले की सुनवाई अदालत में चल रही है।

सफाई साक्ष्य के लिए 28 मई की तिथि तय
सीबीआई बनाम एसपी मिश्रा की पत्रावली में बचाव पक्ष ने अदालत में सफाई साक्ष्य के लिए चार गवाहों की सूची प्रस्तुत की। बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि गवाहों को सूचित किया गया है। सुनवाई के दौरान जो भी गवाह प्रस्तुत होगा, उसका साक्ष्य कराया जाएगा। अदालत ने सुनवाई के लिए 28 मई की तिथि तय की है।

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