सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी न केवल एक संत और समाज सुधारक थे, बल्कि वे अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़े होने वाले एक निर्भीक योद्धा भी थे। उनका जीवन मानवता, समानता और सत्य की मिसाल है। गुरु पर्व के अवसर पर आइए जानें उनकी कुछ प्रेरक घटनाएं, जिन्होंने समाज को नई दिशा दी।
जब गुरु नानक ने तोड़ा मलिक भागो का अभिमान
गुरु नानक देव जी ने एक बार मेहनत की कमाई का महत्व समझाने के लिए सैदपुर में एक घटना के माध्यम से समाज को बड़ा संदेश दिया। अपनी यात्रा के दौरान वे गरीब बढ़ई भाई लालो के घर ठहरे। लालो ने प्रेमपूर्वक सादा भोजन कराया। उसी गांव के धनवान साहूकार मलिक भागो ने भव्य भोज का आयोजन किया और गुरु जी को आमंत्रित किया, लेकिन गुरु नानक ने मना कर दिया। नाराज मलिक भागो स्वयं उनके पास पहुंचा और पूछा कि उन्होंने उसके भोज का निमंत्रण क्यों ठुकराया।
गुरु नानक देव जी ने एक हाथ में भाई लालो की सूखी रोटी और दूसरे हाथ में मलिक भागो की रोटी ली। सभी के आश्चर्य के बीच, लालो की रोटी से दूध और मलिक भागो की रोटी से खून टपकने लगा। गुरु जी ने कहा, “लालो अपनी मेहनत की कमाई से रोटी खाता है, जबकि तुम दूसरों का खून चूसकर धन कमाते हो।” यह सुनकर मलिक भागो का अभिमान टूट गया और उसने सच्चाई व ईमानदारी से जीवन जीने का संकल्प लिया।
जब गुरु नानक ने बाबर के अत्याचार का किया विरोध
सन 1519 में जब मुगल शासक बाबर ने पंजाब पर आक्रमण किया, तब सैदपुर में लूट, हत्याएं और उत्पीड़न का तांडव मचा हुआ था। निर्दोषों की पीड़ा देखकर गुरु नानक देव जी चुप नहीं रहे। उन्होंने बाबर के अत्याचार का खुलकर विरोध किया और कहा, “तू विजेता नहीं, निर्दोषों का हत्यारा है।” यह बात उन्होंने अपनी बानी में भी दर्ज की। उस समय जब कोई भी व्यक्ति बाबर का सामना करने की हिम्मत नहीं कर सकता था, तब गुरु नानक देव जी निडर होकर उसके सामने सत्य की आवाज बने।
जब कैद में अपने चमत्कार से झुकाया बाबर का सिर
बाबर के सैनिकों ने गुरु नानक को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया और उनसे चक्की चलाने का काम करवाया। किंवदंती है कि जब गुरु नानक ने चक्की पर हाथ रखा, तो वह अपने आप चलने लगी। यह देखकर सैनिक चकित रह गए और बाबर को सूचना दी। स्वयं बाबर गुरु जी के पास आया और उनकी महानता को स्वीकार करते हुए उन्हें सम्मानपूर्वक रिहा कर दिया।
गुरु नानक ने बाबर से कहा, “अत्याचार से पाया गया राज्य स्थायी नहीं होता।” बाबर ने क्षमा मांगी और गुरु नानक देव जी ने आगे अपनी यात्राएं जारी रखीं, जहां-जहां गए, उन्होंने मानवता और सत्य का संदेश फैलाया।
गुरु नानक देव जी का जीवन सिखाता है कि सच्चाई और न्याय के मार्ग पर चलना ही सच्ची भक्ति है, चाहे परिस्थितियां कैसी भी हों।