रुहेलखंड विवि: राज्यपाल आनंदीबेन पटेल बोलीं- रोजगार की राह में डिग्री मिलने की देरी न बने बाधा

बरेली में धनतेरस के शुभ मुहूर्त पर आयोजित महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने मेधावियों को गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया। इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं के परिणाम समय से जारी हों और दीक्षांत समारोह भी समय पर कराए जाएं, ताकि छात्रों को रोजगार पाने में डिग्री मिलने की देरी बाधा न बने। उन्होंने सवाल किया कि अगर कंपनी मई, जून और जुलाई में होने वाले रोजगार मेले में आए तो छात्र उसमें कैसे प्रतिभाग करेंगे। 

विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षांत समारोह में कुल 79 मेधावियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इसमें 62 छात्राएं तो 17 छात्र शामिल थे। कुल 148 शोध उपाधियां प्रदान की गईं। साथ ही एशियन गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करने वाली खिलाड़ी खुशबू और एथलीट दीक्षा को भी पुरस्कृत किया गया। 

विद्यार्थियों से पूछें विजन क्या है?
राज्यपाल ने शिक्षकों से कहा कि वे विद्यार्थियों से पूछें कि उनका आगे 10 वर्षों का विजन क्या है। उनसे फीडबैक लेते रहें। इससे शिक्षक खुद भी अपडेट होंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से मानव कल्याण के लिए शोध करने का आह्वान किया। कहा कि, रिसर्च में हम बहुत पीछे हैं। केंद्र और राज्य सरकार इसके लिए अनुदान दे रही है। 

इसलिए शोध पर जोर दें। कहा कि, आज धर्मग्रंथ, वेद-पुराण को पढ़ने और पढ़ाने की भी जरूरत है। क्योंकि किसी से भी पूछो कि विमान की खोज किसने की तो राइट ब्रदर्स जवाब मिलेगा, जबकि महर्षि भारद्वाज ने विमान के बारे में अपने शास्त्र में लिखा है। आधुनिक विज्ञान और तकनीक के बारे में भी विमान संहिता में बताया गया है। इसी तरह सन् 1895 में सर्वप्रथम शिवकर बापूजी तलपड़े ने एयरक्राफ्ट बनाया था, लेकिन कुछ समय बाद अंग्रेजों ने शोध को दबाया और पेटेंट करवाकर एयरक्राफ्ट बनाने का श्रेय ले लिया। 

Governor Anandiben Patel says universities should release exam results soon

‘जब तक मैं हूं शैक्षिक सुधार जारी रहेंगे, बाद में जो करना हो करें’
राज्यपाल ने कहा कि शैक्षिक सुधार के लिए पहली बार जब नैक मूल्यांकन के लिए उन्होंने कहा तब लोग गालियां दे रहे होंगे, लेकिन अब तस्वीर बदली है। सभी विश्वविद्यालयों को कोविड काल में ही इसके लिए निर्देश दिए गए थे। राजभवन ने समस्या आने पर गाइड भी किया। उसके बाद ही नैक ए प्लस और नैक ए प्लस प्लस रैंक कई विश्वविद्यालयों को मिली है। 

एनआईआरएफ में हर वर्ष रैंकिंग होती है। अगर सुधार नहीं किया जाता तो रैंक कम होती जाती है। विद्यार्थी साइट पर देखता है और रैंकिंग का असर कॉलेज सलेक्शन पर पड़ता है। उन्होंने कहा कि जब तक मैं हूं तब तक लगातार शैक्षिक सुधार किया जाएगा। बाद में जो करना हो, वो करें। उन्होंने पारदर्शिता लाने के लिए अंकतालिकाओं और डिग्री को डिजिलॉकर में अपलोड किए जाने की शुरू की गई व्यवस्था के बारे में भी बताया। कहा कि, अब किसी को फर्जी डिग्री नहीं मिलती है। फर्जी डिग्री वाले जहां भी जाएंगे, उनका भला नहीं होगा। 

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पुरुष सशक्तीकरण पर भी ध्यान दें
राज्यपाल ने कहा कि महिला सशक्तीकरण हो रहा है। कॉलेजों को पुरुष सशक्तीकरण करने पर भी ध्यान देना चाहिए। गोल्ड मेडल में छात्राओं की संख्या अधिक है। वहीं पीएचडी में पुरुषों की संख्या अधिक है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि, विश्वविद्यालय और सरकार को चाहिए कि महिलाओं और बच्चों को एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) दिखाएं। इससे वह जान सकेंगे कि किस तरह से पानी को साफ किया जाता है और उसका इस्तेमाल पौधे, कपड़े धुलने, वाहन धुलने में किया जाता है। क्योंकि जल संरक्षण में सबसे अहम भूमिका महिलाओं की होगी।

हमारे जमाने में नहीं थी इतनी सुविधा
समारोह में मुख्य अतिथि प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि विद्यार्थियों को ध्यान देना चाहिए कि वह देश के विकास में क्या योगदान कर सकते हैं। यूनिवर्सिटी के माध्यम से स्टार्टअप को बेहतर किया जा सकता है। धीरे-धीरे स्टार्टअप से लोगों के लिए नौकरियां निकलेंगी। देश में एक लाख से अधिक स्टार्टअप्स हैं। ये सभी आईआईटी से निकले लोगों ने नहीं किए हैं। आज युवाओं के पास तकनीक का सदुपयोग करने का मौका है। जीवन भर सीखते रहें। हमारे जमाने में यह सुविधा नहीं थी। वीआर, मेटावर्स, रोबोटिक्स आदि नई तकनीक के बारे में भी जानना चाहिए। गांव के बच्चों को भी एंटरप्रेन्योरशिप में बढ़ाने पर जोर देना चाहिए। 


प्रो. अनिल सहस्रबुद्धेउन्होंने कहा कि, तकनीक के युग में शिक्षक चिंतित हैं। ऐसे में शिक्षकों को भी जीवन भर नई-नई तकनीक के बारे में सीखना चाहिए। उन्होंने बताया कि मातृभाषा में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एआईसीटीई में रहते हुए उन्होंने अनुवादिनी: ऑनलाइन दस्तावेज ट्रांसलेशन टूल को शुरू किया। 

उन्होंने कहा कि सस्टनेबल डवलपमेंट गोल (एसडीजी 2030) को लेकर हमारा विजन है कि देश को कार्बन न्यूट्रल बनाया जाए। इसके लिए ऊर्जा के रिन्यूएबल सोर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। कार्बन उत्सर्जन कम करने में शिक्षण संस्थानों की अहम भूमिका है। विद्यार्थियों को इसके प्रति जागरूक किया जाए। विद्यार्थी शिक्षण संस्थान से निकलकर जहां भी जॉब करने जाएगा तो उसका फोकस कार्बन उत्सर्जन न्यूट्रल करने पर भी रहेगा। महामारी के दौरान शिक्षा के क्षेत्र में भारत ने विश्व में लीडरशिप का रोल निभाया है। चाहे वो ऑनलाइन पढ़ाई हो, स्वास्थ्य क्षेत्र या फिर आर्थिक व्यवस्था। 

विद्यार्थी ही होते हैं ब्रांड अंबेसडर 
उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी ने कहा कि दीक्षांत समारोह में छात्रों से ज्यादा छात्राओं ने मेडल सूची में अपना नाम दर्ज कराया है। यह सुखद है कि देश की लक्ष्मी, बेटियां शैक्षिक जगत में अपना परचम लहरा रही हैं। कौशल और शिक्षा के बल पर विद्यार्थी देश का नाम रोशन करेंगे। इससे विश्वविद्यालय का भी नाम रोशन होगा, क्योंकि विद्यार्थी ही ब्रांड अंबेसडर होते हैं। अब पढ़ाई सिर्फ डिग्री के रूप में नहीं है, बल्कि छात्र-छात्राओं को श्रेष्ठ नागरिक बनाने पर जोर दिया जा रहा है। कुछ भी करना है तो सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें। युवा सरकारी योजनाओं के बारे में जानें। अन्य लोगों को भी इसके प्रति जागरूक करें। ताकि उन्हें योजनाओं की बेहतरीन सुविधाएं मिल सकें। 

वैज्ञानिकों की सूची में विवि के फैकल्टी मेंबर्स शामिल 
कुलपति प्रो.केपी सिंह ने समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि रुहेलखंड विवि नौ संघटक महाविद्यालय, 27 राजकीय, 29 अनुदानित व 522 स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के साथ उत्तर भारत के विशालतम विश्वविद्यालयों में से एक है। छह लाख से अधिक विद्यार्थियों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा दी जा रही है। रैंकिंग में देश के टॉप 100 विवि में आना व शेष राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन करना लिए गर्व का विषय है। विश्व के प्रतिष्ठित स्टेनफोर्ड विवि कैलिफोर्निया की ओर से जारी विश्व के टॉप दो प्रतिशत वैज्ञानिकों की सूची में विवि के 37 फैकल्टी मेंबर्स को स्थान मिला है। सत्र 2023-24 में विश्वविद्यालय ने सात गोल्ड, नौ सिल्वर मेडल व 12 कांस्य मेडल इंटर यूनिवर्सिटी टूर्नामेंट में हासिल किए हैं। 

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