गाजियाबाद पहुंचा देश की पहली रैपिड रेल का दूसरा ट्रेन सेट

गाजियाबाद : देश की पहली रैपिड रेल (Country s first rapid rail) ट्रेन का दूसरा सेट सोमवार को गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंचा. ट्रेन सेट को गुजरात के सावली स्थित निर्माण कारखाने से ट्रेलर पर लाद कर सड़क मार्ग से लाया गया है. गुजरात के सावली से दुहाई डिपो पहुंची ट्रेन ने तीन राज्यों, राजस्थान, हरियाणा और अंत में उत्तर प्रदेश का सफर तय किया है. ट्रेन सेट के सभी 6 डिब्बे अलग-अलग ट्रेलर पर लाद कर लाए गए.

दुहाई डिपो पहुंचने के बाद अब ट्रेन सेट के डिब्बों को क्रेन की सहायता से उतारा जाएगा और आने वाले दिनों में डिपो में ही इस पूरी ट्रेन को असेम्बल किया जाएगा. रैपिड रेल का पहला ट्रेन सेट ( first train set of Rapid Rail) 12 जून को गाजियाबाद के दुहाई डिपो पहुंचा था.

एलस्टोम कंपनी करेगी रख-रखाव : एनसीआरटीसी ने आरआरटीएस की ट्रेन सेट को बनाने के लिए मेसर्स एलस्टोम के साथ अनुबंध किया है, जिसके अनुसार मेसर्स एलस्टोम, मेरठ मेट्रो के लिए 10 तीन कोच वाली मेट्रो ट्रेन सहित 40 ट्रेनों की डिलीवरी करेगी. इनमें 30 छह कोच वाली आरआरटीएस ट्रेनें होंगी. ट्रेनों के निर्माण के साथ ही अगले 15 सालों तक इन ट्रेनों के रख-रखाव की जिम्मेदारी भी एलस्टोम की ही होगी.

मार्च 2023 में कर सकेंगे सफर: दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रीज़नल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (आरआरटीएस) कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन पर मार्च 2023 तक देश की पहली आरआरटीएस ट्रेन चलाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए एनसीआरटीएस तेजी से काम कर रहा है. आरआरटीएस ट्रेनों को जनता के लिए चलाने से पहले इसकी कई की जांच की जाती है. साथ ही सिग्नलिंग, रोलिंग स्टॉक और अनवरत बिजली की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए इसे कई प्रक्रियाओं के तहत जांचा-परखा जाता है. सभी प्रक्रियाओं की सफल टेस्टिंग के बाद प्री-ऑपरेशनल ट्रायल होता है, जिसमें सफल होने के बाद ही ट्रेन को यात्रियों के लिए ऑपरेशनल किया जाता है.

82 किलोमीटर लंबा है कॉरिडोर: 82 किमी लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर के 68 किमी का एक बड़ा हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है, जबकि 14 किमी का हिस्सा दिल्ली में है. 17 किमी लंबे प्रायोरिटी सेक्शन में साहिबाबाद, गाजियाबाद, गुलधर, दुहाई आरआरटीएस स्टेशन और दुहाई डिपो हैं.

देश की पहली आरआरटीएस ट्रेनसेट की मुख्य विशेषताएं:-

  • एयरोडायनेमिक प्रोफ़ाइल, उच्च गति पर हवा के खिंचाव को कम करने के लिए.
  • एर्गोनॉमिक रूप से डिज़ाइन की गई 2X2 ट्रांसवर्स सीटिंग, ओवरहेड लगेज रैक वाली कुशन वाली सीटें.
  • हर ट्रेन में एक ‘प्रीमियम क्लास कार’ जो आरामदेह, सुविधाजनक और यूजर फ्रेंडली होगी जिसमें अधिक लेगरूम, कोट हैंगर के साथ चौड़ी सीटें होंगी.
  • महिलाओं के लिए आरक्षित एक कोच.
  • सीसीटीवी निगरानी, आधुनिक पैसेंजर अनाउंसमेंट और डिजिटल पैसेंजर इनफार्मेशन सिस्टम (PAPIS).
  • वाई-फाई और ऑनबोर्ड इन्फोटेनमेंट.
  • हर सीट पर मोबाइल चार्जिंग के लिए यूएसबी पोर्ट.
  • दिव्यांगों के लिए व्हीलचेयर की जगह और आपातकालीन चिकित्सा परिवहन के लिए स्ट्रेचर की जगह.

कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में आएगी कमी: दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर से प्रति वर्ष लगभग 2,50,000 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने का अनुमान है. कॉरिडोर के प्रयोरिटी सेक्शन पर अगले साल मार्च 2023 में आरआरटीएस ट्रेनें चलाने का लक्ष्य अब अंतिम चरण में पहुंच चुका है. हालांकि इस पूरे कॉरिडोर पर ट्रेनों का संचालन वर्ष 2025 तक किया जाना है.

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