पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने कहा है कि अलगाववाद एक ऐसा विचार है जिसे न तो कैद किया जा सकता है और न ही पाबंदी लगाई जा सकती है। इसका समाधान बातचीत और सुलह के माध्यम से ही निकाला जाना चाहिए। केंद्र का मौजूदा दृष्टिकोण केवल कश्मीरियों को अलग-थलग करने और अलगाववादी भावना को मजबूत करने के लिए काम कर रहा है। यह बातें पीडीपी ने अपने मासिक समाचार पत्र ‘स्पीक अप’ में कहीं। जनवरी का यह संस्करण मंगलवार को जारी किया गया था।
पार्टी ने कहा कि नवीनतम भूमि अनुदान नियम -2022 के तहत पट्टे की भूमि को सरकार को सौंपना होगा। यह एक और केंद्र सरकार द्वारा हड़पने का तरीका है जो स्थानीय व्यवसायों, होटलों और अन्य प्रतिष्ठानों को उखाड़ फेंकेगा। यह दावा किया गया कि कई हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, एलआईसी और अन्य राष्ट्रीय संपत्तियों की तरह भूमि को अंतत: उनके कॉर्पोरेट मित्रों द्वारा ले लिया जाएगा।
पीडीपी ने कहा कि 2019 के बाद जम्मू और कश्मीर में वास्तविक निवेश के बारे में संसद में पेश किए गए आंकड़ों ने भारत सरकार के झांसे को दूर कर दिया है। उन्होंने कहा, पिछले साल के आंकड़े उसके आधा से भी कम थे जो हमें 2017-18 में मिलेे थे। पार्टी ने कहा कि कश्मीर से निपटने के उपाय समय के साथ और अधिक कड़े होते जा रहे हैं क्योंकि जमात-ए-इस्लामी से जुड़ी सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) द्वारा अलगाववाद पर नकेल कसने के बहाने जब्त कर ली गई है। पीडीपी ने कहा, लेकिन अलगाववाद एक विचार है और इसे जब्त या कैद नहीं किया जा सकता है।