शंभू बॉर्डर और डिब्रूगढ़ शहर की कोठरी !

कथित किसान आन्दोलन और हरियाणा-पंजाब के शंभू बॉर्डर पर दिल्ली को बंधक बनाने को आमादा भीड़ तथा हरियाणा पुलिस के बीच मचे घमासान में एक खास खबर दब कर रह गई या कहीं खो गई।

रोज़ाना नई-नई सनसनियां तैयार और ईज़ाद करने वाले टीवी चैनलों के एंकर, रिपोर्टर, फोटोग्राफर दर्शकों को बता, दिखा रहे थे कि कैसे दिल्ली कूच को आमादा ‘अन्नदाताओं’ को आंसू गैस के गोलों की बरसात कर रोका जा रहा है। किस तरह किसानों की राह में सड़कों पर बड़ी-बड़ी कीलें बिछा दी गई हैं, पत्थरों के बड़े-बड़े बोल्डर लगा दिए हैं और दिल्ली घेराव रोकने के लिए ऐसे कंटीले तारों की बाड़ लगाई गई है जैसे यह भारत-पाक की सीमा का दृश्य हो। इन चैनलों ने आंदोलनकारियों की लाचारी और बेचारगी दर्शाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

अलबत्ता कुछ चैनलों ने वीडियो दिखाये कि कैस भगवंत मान ने जेसीबी, बोल्डर हटाने की मशीनें, टैंकों के रूप में परिवर्तित विशालकाय ट्रैक्टरों, पराली में छिपाकर मिर्च पाउडर, बड़े पंखों का जुगाड़ और एंगल आयरन के ज़रिये पक्की तामीर के दृश्य भी दिखाये। नरेन्द्र मोदी का ग्राफ गिराने और उन्हें पंजाब से जिन्दा न लौटने की धमकियां तथा ट्रालियों पर भिंडरा वाले के पोस्टर चिपके भी दिखाये। वॉकीटॉकी भी दिखाई।

इसी बीच 17 फरवरी, 2024 को असम से खबर आई कि डिब्रूगढ़ जेल में बन्द भिंडरावाले का प्रशंसक और गुरपतवंत सिंह पन्नू के चेले अमरपाल की कोठरी की तलाशी में जासूसी कैमरा, स्मार्टफोन, की-पैड फोन, पैनड्राइव, ब्लूटूथ, हैडफोन, स्पीकर, स्मार्ट वॉच व कुछ अन्य अवांछित वस्तुएं पकड़ी गई हैं। शंभू बॉर्डर पर भारत का भूगोल बदलने की बात कही जाती है। एक शख्स कहता है अभी बाड़ तोड़ने का ऑर्डर नहीं आया, ऑर्डर आते ही दिल्ली पहुंच जायेंगे।

जॉर्ज सोरोस से वित्त पोषित पत्रकारों ने डिब्रुगढ़ की खबर क्यों गोल कर दी? शम्भू बॉर्डर और डिब्रूगढ़ के बीच क्या कोई कनेक्शन था, इन खोजी पत्रकारों की ज़ुबान क्यों बन्द है?

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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