पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू राज्य की नई कैबिनेट के चयन के लिए दिल्ली दरबार में पहुंच चुके हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री चन्नी की कैबिनेट में शामिल किए जाने वाले विधायकों की सूची तैयार करते समय ‘कैप्टन समर्थक या विरोधी’ को भी ध्यान में रखा गया है।
इससे पहले, कैप्टन के इस्तीफे के बाद विधायक दल के नए नेता का चयन और फिर दो डिप्टी सीएम चुनते समय पार्टी के भीतर जो खींचतान उभरकर सामने आई, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कैप्टन मंत्रिमंडल से कम से कम छह नेताओं की छुट्टी होगी और सिद्धू खेमे में शामिल रहे छह अन्य विधायकों को मंत्री की कुर्सी मिलेगी।
सूत्रों के अनुसार सिद्धू-कैप्टन विवाद के दौरान राज्य के जिन मंत्रियों ने सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोला था, वह सबसे पहले निशाने पर हैं। इनमें पहला नाम ब्रह्म मोहिंदरा का है, जिन्हें डिप्टी सीएम बनाए जाने पर भी सिद्धू ने कड़ी आपत्ति जताते हुए शपथ ग्रहण के एक घंटा पहले उनका चयन रद्द करा दिया था।
मोहिंदरा के अलावा दूसरा नाम राणा गुरमीत सिंह सोढी का है, जिन्होंने आलाकमान से सिद्धू की शिकायत की थी। तीसरा नाम साधू सिंह धर्मसोत का है, जो लगातार सिद्धू खेमे के खिलाफ खुलकर बयान जारी करते रहे। इनके अलावा माना जा रहा है कि गुरप्रीत सिंह कांगड़, भारत भूषण आशू और विजय इंदर सिंगला का पत्ता कट सकता है।
वहीं, मंत्रिमंडल में नए चेहरों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि नवजोत सिद्धू सबसे पहले परगट सिंह की मंत्री पद पर ताजपोशी चाहते हैं क्योंकि परगट बीते साढ़े चार साल के दौरान उनके सबसे करीबी रहे और हर मौके पर उन्होंने सिद्धू का साथ दिया है। इनके अलावा राजा वड़िंग, कुलजीत नागरा, संगत सिंह गिलजियां, गुरकीरत कोटली, राजिंदर बेरी के नाम सबसे आगे चल रहे हैं।