सिंगापुर: दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने का अवसर- जयशंकर

केंद्रीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर का सिंगापुर दौरा सोमवार को समाप्त हो गया। उनके इस दौरे पर मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान जारी किया। इस बयान के अनुसार विदेश मंत्री जयशंकर का सिंगापुर दौरा और वहां के शीर्ष नेताओं के साथ मुलाकात कई क्षेत्रों में प्रगति और द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करने का अवसर प्रदान करेगा। 

पीएम, डिप्टी पीएम से की मुलाकात
जयशंकर 23 से 25 मार्च तक सिंगापुर दौरे पर थे। उन्होंने सिंगापुर पहुंचकर सबसे पहले युद्ध स्मारक पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भारतीय सेना के जवानों को श्रद्धांजलि दी थी। इस दौरान उन्होंने सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली सेन लूंग, उप-प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात की। उन्होंने विदेश मंत्री विवियन बालाकृष्णन के साथ द्विपक्षीय, वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने कैबिनेट के शीर्ष नेताओं के साथ भी रणनीतिक द्विपक्षीय संबंध और हिंद-प्रशांत एवं पश्चिमी एशिया क्षेत्रों की स्थिति पर भी बात की।

विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया, “इस यात्रा ने भारत और सिंगापुर के बीच रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने और सहयोग के क्षेत्रों में प्रगति लाने का अवसर प्रदान किया।” बता दें कि जयशंकर ने व्यापार और उद्योग मंत्री गैन किम योंग से अलग-अलग बैठकें की। इस दौरान उन्होंने हरित ऊर्जा, आपूर्ति श्रृंखला और रक्षा पर चर्चा की। केंद्रीय विदेश मंत्री ने कानून एवं गृह मामलों के मंत्री के. शनमुगन और राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री टिओ ची हीन से भी मुलाकात की।

भारतीय समुदाय से भी मिलें
जयशंकर ने सिंगापुर में भारतीय समुदाय के साथ भी बातचीत की। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ साउथ एशिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने थिंक टैंक और नीति निर्माताओं से बातचीत की। जयशंकर ने इस दौरान वहां वैश्वीकरण के उदाहरण पर जोर दिया। उन्होंने विदेश नीति पर भी बात की और इसके महत्व को भी बताया। बता दें कि विदेश मंत्री का फिलीपीन और मलयेशिया की यात्रा करने का भी कार्यक्रम है।

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