सीतारमण ने केंद्रीय अनुदान जारी करने में अन्याय के कर्नाटक सरकार के दावे को खारिज किया

बेंगलुरु।  केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कर्नाटक सरकार के इस दावे को खारिज कर दिया कि केंद्र 15वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार ‘विशेष अनुदान’ का उसका हिस्सा जारी नहीं कर रहा है। सीतारमण ने इस बात से इनकार किया कि वित्त आयोग की ओर से कोई सिफारिश की गई है। वित्त मंत्री सीतारमण ने दावा किया, “कर्नाटक सरकार का दावा है कि राज्य को 5,495 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान जारी नहीं किया गया और यह पूरी तरह से गलत है। वित्त आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में ऐसे किसी विशेष अनुदान की सिफारिश नहीं की।’’ 

सीतारमण का यह बयान ऐसे समय आया है जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को कहा था कि राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्र को गंभीर सूखे की स्थिति से जूझ रहे राज्य को राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि (एनडीआरएफ) के तहत तुरंत अनुदान जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। फरवरी में, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उप-मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार, कांग्रेस विधायकों और केंद्रीय स्तर के अन्य कांग्रेस नेताओं ने नयी दिल्ली में प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि केंद्र कर्नाटक की समस्याओं के प्रति उदासीन है और धनराशि का उचित हिस्सा जारी नहीं कर रहा है। 

थिंकर्स फोरम, जयनगर द्वारा शहर में आयोजित एक वार्ता के दौरान सीतारमण ने कहा, ‘‘मैं आपको विस्तार से बताना चाहती हूं कि कर्नाटक को देय हर पैसा, राज्य को दिया जाता है और समय पर दिया जाता है।’’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के तहत 2014 और 2024 के बीच कर हस्तांतरण में 258 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन के 10 वर्षों की तुलना में 3.5 गुना अधिक है। उन्होंने दावा किया कि भाजपा शासन के इन 10 वर्षों में सहायता अनुदान भी बढ़कर 273 प्रतिशत हो गया है, जो पिछले 10 वर्षों की तुलना में 3.7 गुना अधिक है। 

वित्त मंत्री ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच कर्नाटक को प्रति वर्ष मिलने वाला पैसा 81,795 करोड़ रुपये था, जो 2014 से 2024 तक बढ़कर 2,93,226 करोड़ रुपये हो गया। सीतारमण ने घोषणा की, ‘‘कोई भी यह दावा नहीं कर रहा है कि हमने इतना या कुछ भी दिया है, लेकिन गलत आरोप लगाया जा रहा है, आरोप लगाया जा रहा है कि आप कर्नाटक का पैसा नहीं दे रहे हैं, मुझे खेद है, कृपया आंकड़ों को देखें, उन तारीखों को देखें जब पैसा दिया गया था और फिर हमें कुछ बताएं जो विशिष्ट और सही हो, ताकि मैं जवाब दे सकूं और मैं जवाब दूंगी।’’ 

उन्होंने आरोप लगाया, लेकिन जब हमने इसे समय पर दिया है और कभी-कभी समय से पहले भी दिया है, तो लोगों को यह कहकर गुमराह करना कि पैसा नहीं आ रहा है, बिल्कुल भी जिम्मेदारी वाला बयान नहीं है। सीतारमण ने कहा, ‘‘2004-14 के बीच सहायता अनुदान 60,779.84 करोड़ रुपये था, जो बढ़कर 2,26,832 करोड़ रुपये हो गया। इसलिए मैं बस इतना चाहती हूं कि राज्य सरकार कृपया कागजात पर गौर करे, तथ्य रखे और कर्नाटक के लोगों को गुमराह न करे। 

सीतारमण के मुताबिक, कोविड के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने वित्त मंत्रालय से राज्यों को बुनियादी ढांचे के निर्माण और चल रहे बुनियादी ढांचे के काम पर खर्च करने के लिए 50 साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने को कहा। उन्होंने कहा, “किसी भी वित्त आयोग ने सिफारिश नहीं की थी, लेकिन केंद्र ने सभी राज्यों को 50 वर्षों के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने का फैसला किया… यह शायद बट्टे खाते में भी डाला जा सकता है। उसमें कर्नाटक का हिस्सा कितना था? 2020-21 से 7,130 करोड़ रुपये।’’ उन्होंने जानना चाहा कि क्या राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि कर्नाटक को वह राशि मिली है, जो वित्त आयोग की सिफारिशों का हिस्सा नहीं थी।

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