मैच हारने के बाद मैं पूरी रात में शायद ही 2-3 घंटे सो पाया, चोट से तैयारी पर असर पड़ा: बजरंग पुनिया

नई दिल्ली: टोक्‍यो ओलंपिक में पहलवानी में कांस्य पदक जीतने वाले बजरंग पुनिया ने बताया कि सेमीफ़ाइनल मैच में हारने के बाद वह बहुत अधिक निराश थे. पूनिया ने बताया, मैं बात करने के मूड में नहीं था. एक मैच हारने के बाद एक एथलीट से ज्‍यादा कोई निराश नहीं होता है…. मैं पूरी रात मुश्किल से 2-3 घंटे सो पाया. मैंने आगे देखने और पदक जीतने का फैसला किया. ओलंपिक में उस (सेमीफ़ाइनल) मैच के बारे में सोचने का कोई मतलब नहीं था. उन्‍होंने कहा, मैं अब स्वर्ण पदक से चूक गया हूं, लेकिन अपनी कमजोरियों पर काम करूंगा और पेरिस में शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश करूंगा.

भारतीय पहलवान बजरंग पूनिया ने रविवार को कहा कि घुटने की चोट के कारण वह लगभग तीन सप्ताह तक मैट (अभ्यास) से दूर रहे थे, जिससे ओलंपिक की उनकी तैयारियां प्रभावित हुई और शनिवार को कांस्य पदक के मुकाबले के लिए सहयोगी सदस्यों की सलाह के उलट वह घुटने पर पट्टी लगाये बिना आए थे. बजरंग ने मीडिया से बातचीत में कहा, ”मैं करीब 25 दिनों तक मैट ट्रेनिंग नहीं कर सका. मैं चोट के बाद भी ठीक से नहीं चल पा रहा था. ओलंपिक जैसे टूर्नामेंट से पहले एक दिन की ट्रेनिंग से चूकना भी सही नहीं होता है.”

बजरंग कहा, मैं अब स्वर्ण पदक से चूक गया हूं, लेकिन अपनी कमजोरियों पर काम करूंगा और पेरिस में शीर्ष पर पहुंचने की कोशिश करूंगा. बजरंग अपने शुरुआती मुकाबलों में उस तरह की लय में नहीं दिखे, जिसके लिए वह जाने जाते है. कांस्य पदक के मुकाबले में कजाखस्तान के दौलत नियाजबेकोव के खिलाफ हालांकि उनकी वही रणनीति और आक्रामक खेल को देखने को मिला. उन्होंने 8-0 से जीत दर्ज कर कांस्य पदक अपने नाम किया.

बजरंग ने तोक्यो खेलों से पहले आखिरी रैंकिंग प्रतियोगिता पोलैंड ओपन में भाग नहीं लिया था. उनका तर्क था कि उन्हें अंकों से अधिक अभ्यास की आवश्यकता थी. वह अभ्यास के लिए रूस गए, जहां एक स्थानीय टूर्नामेंट में उनका दाहिना घुटना चोटिल हो गया. अली अलीएव टूर्नामेंट में 25 जून को अंडर-23 यूरोपीय रजत पदक विजेता अबुलमाजिद कुदिएव के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान उनके घुटने में चोट लग गई थी.

मैं बिना पट्टी के ही मैट पर उतरा था

बजरंग ने कहा, ”मेरे कोच और फिजियो चाहते थे कि मैं कांस्य मुकाबले में घुटने पर पट्टी बांधकर उतरूं, लेकिन मैं सहज महसूस नहीं कर रहा था. ऐसा लग रहा था कि किसी ने मेरा पैर बांध दिया है, इसलिए मैंने उनसे कहा कि अगर चोट गंभीर हो जाए तो भी मैं बाद में आराम कर सकता हूं, लेकिन अगर मैं अब पदक नहीं जीत पाया तो सारी मेहनत बेकार हो जाएगी. इसलिए मैं बिना पट्टी के ही मैट पर उतरा था.”

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