मिथिला और मगध संस्कृति को एक करने के लिए निकाली 70 किमी लंबी यात्रा

अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती के शुभ अवसर पर जयमंगलागढ़ से मोकामा तक जयमंगला वाहिनी ने 70 किमी लंबी धर्मयात्रा निकाली। यह यात्रा बेगूसराय जिले के जयमंगलागढ़ से शुरू होकर पटना के मोकामा स्थित भगवान परशुराम के मंदिर तक गई। यात्रा की शुरुआत से पूर्व माता जयमंगला के मंदिर में जयमंगला वाहिनी के सदस्यों ने पूजा अर्चना की। इसके बाद सदस्यों के बीच प्रसाद का वितरण किया। ध्वज, डीजे और शंखनाद के साथ यात्रा की शुरुआत जयमंगलागढ़ मंदिर परिसर से हुई।

इस दौरान जय मां जयमंगला, जय भगवान परशुराम, जय श्रीराम और जय हनुमान के नारों से संपूर्ण वातावरण गुंजयमान होता रहा। यात्रा में जयमंगला वाहिनी के दर्जनों कार्यकर्ताओं के साथ सैंकड़ों सनातनियों ने इस धर्म यात्रा में भाग लिया। यह यात्रा बीते कई साल से निकाली जा रही है। इस अवसर पर जयमंगला वाहिनी से जुड़े हुए शुभम कुमार, जेपी कुमार, सिंह मालिक, सोनू कुमार, गोपाल झा, सुंदरम वत्स, भानु कुमार आदि लोगों ने कहा कि यह आठवां साल यात्रा का है। हम लोगों को धर्म जागरण के लिए काम करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ है, इससे हम लोग अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं।

बिहार के अंदर सबसे लंबी धाम यात्रा है, जो बेगूसराय के जयमंगलागढ़ से पटना के मोकामा परशुराम मंदिर तक जाती है। रास्ते में सभी सनातनियों का भरपूर समर्थन और सहयोग प्राप्त होता रहता है। इस अवसर पर जदयू नेता संजय सिंह, आरसीएस कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अमृतांशु कुमार, कोषाध्यक्ष सत्यम कुमार, रोहित कुमार, अभिषेक सिंह, भाजपा नेता शालिग्राम सिंह, जयप्रकाश सहित काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

इन रूटों से गई यात्रा
यात्रा जयमंगलागढ़ से पूजा कर प्रारंभ हुई। यह मंझौल, राजौरा, मोहनपुर, पन्हास, हर हर महादेव चौक, जीरोमाइल, बीहट बड़ी दुर्गा मंदिर, सिमरिया, हाथीदह होते हुए मोकामा के बाबा परशुराम मंदिर पहुंच कर संपन्न हुई। संयोजक अवनीश कुमार उर्फ सिंह मालिक और शिवम ने कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य मिथिला और मगध की संस्कृति को जोड़ना है। उन्होंने बाबा परशुराम का आशीर्वाद लेकर राष्ट्र के विकास की कामना की।

वहीं, अमन और सोनू कुमार ने बताया कि भगवान परशुराम की जयंती हर वर्ष वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। उन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। उनका जन्म ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। परशुराम का जन्म न्याय और धर्म की रक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भक्तगण उनसे शक्ति, साहस और बुराई से सुरक्षा का आशीर्वाद मांगते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here