बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को कटिहार में जनसभा को संबोधित करते हुए वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि यदि राज्य में महागठबंधन की सरकार बनती है, तो इस कानून को “कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा।”
तेजस्वी ने अपने संबोधन में कहा, “मेरे पिता लालू प्रसाद यादव ने हमेशा सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ आवाज उठाई है, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार उन्हीं ताकतों के साथ खड़े दिखाई देते हैं। आज आरएसएस और भाजपा नफरत फैलाने में लगी हैं। भाजपा का नाम ‘भारत जलाओ पार्टी’ होना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है। “20 साल पुरानी सरकार से लोग ऊब चुके हैं। हर विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है, कानून-व्यवस्था चरमराई हुई है और मुख्यमंत्री अब होश में नहीं हैं,” तेजस्वी ने कहा।
सीमांचल के विकास का वादा
राजद नेता ने सीमांचल क्षेत्र के लोगों को भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार बनने पर यहां के विकास के लिए ‘सीमांचल विकास प्राधिकरण’ का गठन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “पूर्णिया, किशनगंज, अररिया और कटिहार के लोग उपेक्षा झेल रहे हैं। एनडीए सरकार ने यहां के लिए कुछ नहीं किया।”
तेजस्वी ने कहा कि एनडीए गठबंधन उनकी नीतियों की नकल कर रहा है। “हमने वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाने की बात की थी। अब नीतीश सरकार ने इसे 1100 रुपये कर दिया है। हमारी सरकार बनेगी तो यह पेंशन 2,000 रुपये प्रति माह कर दी जाएगी,” उन्होंने घोषणा की।
राजद एमएलसी के बयान से शुरू हुआ विवाद
इससे पहले शनिवार को राजद के एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब ने बयान दिया था कि तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री बनने पर “सभी बिल, जिनमें वक्फ़ बिल भी शामिल है, फाड़ दिए जाएंगे।” इस टिप्पणी के बाद सियासी हलचल तेज हो गई थी।
विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि कोई राज्य सरकार केंद्र द्वारा पारित कानून को कैसे रद्द कर सकती है। वहीं, केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली सरकार का कहना है कि वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं और पिछड़े वर्गों के हित में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना है। जबकि विपक्ष का आरोप है कि यह अधिनियम मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को सीमित करता है।