बिहार विधानसभा चुनाव अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है। मंगलवार को राज्य के 35 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा। इस चरण में करीब 3.70 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर 1302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे। चुनाव आयोग ने मतदान की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है, वहीं राज्य की सीमाओं पर सुरक्षा भी कड़ी कर दी गई है।

हाल ही में दिल्ली में हुए ब्लास्ट के बाद बिहार पुलिस को भी हाई अलर्ट पर रखा गया है। मतदान के लिए 45,399 केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से लगभग 40 हजार ग्रामीण इलाकों में स्थित हैं।

सुरक्षा के सख्त इंतज़ाम

अंतिम चरण को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा व्यवस्था की है। राज्यभर में चार लाख से अधिक सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। संवेदनशील और अति-संवेदनशील मतदान केंद्रों पर सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की गई है। वहीं, EVM मशीनों की डिस्पैचिंग पूरी कर ली गई है और मतदान कर्मी अपने-अपने केंद्रों पर पहुंच चुके हैं।

कई मंत्रियों के भाग्य का होगा फैसला

इस चरण में नीतीश कुमार कैबिनेट के आधा दर्जन से ज्यादा मंत्रियों की प्रतिष्ठा दांव पर है। जिन जिलों में मतदान होना है, उनमें पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिले शामिल हैं। ये इलाके नेपाल की सीमा से सटे हैं और यहां सीमांचल क्षेत्र में बड़ी संख्या में अल्पसंख्यक मतदाता हैं। इसलिए यह चरण सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए निर्णायक माना जा रहा है।

महागठबंधन जहां अल्पसंख्यक मतदाताओं के समर्थन पर भरोसा जता रहा है, वहीं राजग विपक्ष पर “घुसपैठियों की पैरवी” करने के आरोप लगा रहा है।

जेडीयू और बीजेपी के दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर

इस चरण में कई दिग्गज नेता मैदान में हैं। जेडीयू के वरिष्ठ मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल सीट से लगातार आठवीं बार जीत दर्ज करने की कोशिश में हैं। वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री प्रेम कुमार गया टाउन सीट से अपनी आठवीं जीत के लिए संघर्षरत हैं।

इसके अलावा बीजेपी की रेनू देवी (बेतिया), नीरेज कुमार सिंह बबलू (छातापुर), जेडीयू की लेशी सिंह (धमदहा), शीला मंडल (फुलपरास) और जामा खान (चैनपुर) जैसे कई नेताओं की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। कटिहार से पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद लगातार पांचवीं जीत दर्ज करने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं भाकपा (माले) के महबूब आलम (बलरामपुर) और कांग्रेस के शकील अहमद खान (कदवा) भी लगातार तीसरी बार जीतने के इरादे से चुनाव मैदान में हैं।

सहयोगी दलों के लिए भी अहम परीक्षा

अंतिम चरण राजग के सहयोगी दलों हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) के लिए भी अग्निपरीक्षा साबित हो सकता है। दोनों दलों को इस चुनाव में छह-छह सीटें मिली हैं, और ‘हम’ की सभी सीटों पर आज मतदान हो रहा है।

‘हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी और रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी-अपनी पार्टियों की साख बचाने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता (सासाराम) और करीबी सहयोगी माधव आनंद (मधुबनी) पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।

दलबदलू और नए चेहरे भी मैदान में

इस चरण में कई दलबदलू नेता भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। संगीता कुमारी (मोहानिया), जिन्होंने 2020 में राजद से जीत दर्ज की थी, अब बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं। विभा देवी (नवादा) ने हाल ही में राजद छोड़कर जेडीयू का दामन थामा है। पूर्व मंत्री मुरारी गौतम अब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से अपनी पुरानी सीट चेनारी से चुनाव लड़ रहे हैं।

युवा मतदाताओं पर सबकी निगाहें

इस चरण में कुल 3.7 करोड़ मतदाताओं में 1.75 करोड़ महिलाएं और 7.69 लाख पहली बार वोट डालने वाले युवा मतदाता हैं। 30 से 60 वर्ष आयु वर्ग के मतदाता सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं। हिसुआ सीट (नवादा) में सर्वाधिक 3.67 लाख वोटर हैं, जबकि लौरिया, रक्सौल, सुगौली, त्रिवेणीगंज, चनपटिया और बनमखी में 22-22 प्रत्याशी मैदान में हैं।

पहले चरण में हुई 65 प्रतिशत से अधिक वोटिंग को राज्य में अब तक का सबसे रिकॉर्ड मतदान बताया गया था, और अब चुनाव आयोग को उम्मीद है कि अंतिम चरण में भी मतदाता बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे।