बिहार की नीतीश कुमार सरकार राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने का नये सिरे से अभियान चला रही है. इस संबंध में अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने प्रदेश के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र लिखा है. इस पत्र में लिखा गया है कि राज्य के सभी सरकारी विद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के मकसद से विद्यार्थियों को उचित शैक्षणिक वातावरण सुनिश्चित किया जाये.
शिक्षा विभाग ने इस संबंध में विद्यालय निरीक्षण के लिए दिशा निदेश भी जारी किये हैं. इस क्रम में सरकारी विद्यालय के निरीक्षण के लिए नया प्रपत्र शिक्षाकोष पर अपलोड करने का दिशा निर्देश दिया गया है.
शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों को मिली जिम्मेदारी
इस क्रम में शिक्षा विभाग के सभी कार्यालयों में पदस्थापित सभी पदाधिकारियों और कर्मियों को विद्यालय अनुश्रवण की जिम्मेवारी दी गयी है. जिला शिक्षा कार्यालय में कार्यरत संविदा पदाधिकारी /कर्मी या वाह्य स्रोत से कार्यरत कर्मियों से प्राप्त निरीक्षण प्रतिवेदन की समीक्षा के क्रम में पाया गया कि इनके द्वारा निरीक्षण प्रतिवेदन में अंकित किए गये बहुत से डाटा गलत हैं.
पत्र के मुताबिक जब इनकी जांच की गई तो निरीक्षण प्रतिवेदन और स्पॉट के स्टेटस में बहुत अंतर था. कर्तव्यों के निर्वहन में सावधानी और संवेदनशीलता की कमी पायी गई है. लिहाजा विभाग ने दोबारा निरीक्षण का फैसला किया है ताकि क्वालिटी एजुकेशन से समझौता नहीं किया जा सके.
नई निरीक्षण व्यवस्था में बदलाव
निरीक्षण की गुणवत्ता और उपयोगिता बढाने के लिए नई निरीक्षण व्यवस्था में बदलाव करने का निर्णय लिया गया है. नये निर्णय के मुताबिक अल्प अवधि संविदा पर नियोजित या आउटसोर्स के माध्यम से नियोजित किसी भी कर्मी के माध्यम से विद्यालयों का निरीक्षण नहीं किया जाएगा. अब सिर्फ शिक्षा विभाग और BEP के निम्नलिखित नियमित पदाधिकारी ही विद्यालयों का निरीक्षण करेंगे:
i. जिला शिक्षा पदाधिकारी ii. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी iii. कार्यक्रम पदाधिकारी iv. प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी
अपर जिला कार्यक्रम समन्वयक ( BEP ) सहायक कार्यक्रम पदाधिकारी ( BEP )
किन विद्यालयों का निरीक्षण किया जाएगा?
जिन विद्यालयों का निरीक्षण किया जाना है उसका चयन प्रत्येक निरीक्षण हेतु निर्धारित दिन अपर मुख्य सचिव के द्वारा किया जाएगा. इन विद्यालयों की सूचना एक दिन पूर्व रात्रि 9 बजे मोबाइल पर अपर मुख्य सचिव कार्यालय के माध्यम से भेजी जाएगी. विद्यालयों के निरीक्षण की सूचना पूर्णरूप से गोपनीय रखी जाएगी.
सभी पदाधिकारियों को प्रत्येक माह कम से कम 25 विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया जाना है. अतः निरीक्षण के कार्य को सभी पदाधिकारी गंभीरता से लेंगे एवं किसी भी परिस्थिति में निरीक्षण प्रतिवेदन फर्जी या भ्रामक पाए जाने पर संबंधित पदाधिकारियों पर आवश्यक अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.