रामनवमी के पावन अवसर पर आप सब की आवाज (आसा) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने अपने पैतृक गांव मुस्तफापुर, नालंदा में प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने न सिर्फ रामराज्य की अवधारणा को रेखांकित किया, बल्कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, वक्फ कानून और महाराष्ट्र की भाषाई हिंसा पर भी खुलकर अपनी बात रखी।
रामराज्य की संकल्पना को बनाया केंद्रबिंदु
आरसीपी सिंह ने अपने संबोधन की शुरुआत रामनवमी की शुभकामनाओं से की। उन्होंने भगवान राम के आदर्शों को आज के लोकतंत्र से जोड़ते हुए कहा कि रामराज्य में भेदभाव नहीं था, सबके लिए समान अधिकार थे- चाहे वह किसी भी वर्ग, धर्म, भाषा या खान-पान का व्यक्ति हो। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र भी ऐसी ही समता, समानता, भाईचारा और सांप्रदायिक सौहार्द की भावना पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने अपने समर्थकों से रामनवमी को ‘संकल्प दिवस’ के रूप में मनाने का आह्वान किया और समाज, प्रदेश और देश में रामराज्य की भावना को स्थापित करने की बात कही।
वक्फ कानून को लेकर जताई चिंता
उन्होंने नए वक्फ कानून को लेकर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भले ही यह कानून लागू हो गया हो, लेकिन अभी यह देखना बाकी है कि इसका क्रियान्वयन पूरे देश में समान रूप से होता है या नहीं। आरसीपी सिंह ने जोर देते हुए कहा कि लोकतंत्र में बहुमत महत्वपूर्ण है, लेकिन अल्पसंख्यकों की आवाज को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का जो नारा है, उसे जमीन पर भी उतारा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भारत एक विविधताओं से भरा देश है। इसमें हर धर्म, भाषा और जाति के लोगों को समान अवसर मिलना चाहिए ताकि किसी को भेदभाव का एहसास न हो।
नीतीश कुमार के स्वास्थ्य और नेतृत्व क्षमता पर उठाए सवाल
अपने पुराने साथी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर आरसीपी सिंह भावनात्मक लेकिन स्पष्ट नजर आए। उन्होंने कहा कि वह नीतीश कुमार के शुभचिंतक हैं, लेकिन उनके स्वास्थ्य और बॉडी लैंग्वेज को देखकर चिंता होती है। आरसीपी सिंह ने कहा कि हम भगवान से कामना करते हैं कि नीतीश बाबू स्वस्थ रहें, क्योंकि उन्होंने बिहार की और समाज की सेवा की है। लेकिन आज वह पहले जैसे नहीं रहे। सवाल यह है कि क्या अब भी वह बिहार की सेवा करने में सक्षम हैं? उन्होंने नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा की चर्चा करते हुए यह भी जोड़ा कि पहले वह कई मुद्दों पर स्पष्ट थे- राम मंदिर, अनुच्छेद 370 और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे विषयों पर, लेकिन अब उनकी स्थिति में बदलाव आ गया है।
महाराष्ट्र में भाषाई हिंसा पर जताई सख्त आपत्ति
आरसीपी सिंह ने महाराष्ट्र में बिहारी और उत्तर भारतीयों के खिलाफ हो रही भाषाई हिंसा पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत बहुभाषी देश है, हर चार किलोमीटर पर भाषा बदलती है। संविधान में महाराष्ट्र और बिहार के लिए अलग-अलग प्रावधान नहीं हैं। उन्होंने चेताया कि अगर भाषाई भेदभाव बढ़ा तो उसके आर्थिक और सामाजिक दुष्परिणाम होंगे। महाराष्ट्र में बने कपड़े और औद्योगिक उत्पादों को अगर उत्तर भारत में खरीदना बंद कर दिया जाए तो क्या होगा? उन्होंने कहा कि ऐसी हिंसक घटनाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और ऐसी सोच रखने वालों को देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने से रोका जाना चाहिए।
पार्टी के शीर्ष नेता रहे मौजूद
इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुन्ना सिद्दीकी, राष्ट्रीय महासचिव प्रियदर्शी अशोक, महासचिव संजय सिन्हा और लता सिंह जैसे पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मंच पर मौजूद थे। उन्होंने आरसीपी सिंह के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि आसा पार्टी सामाजिक समरसता और न्यायसंगत व्यवस्था की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है।