मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा राज्य में पहली बार डोमिसाइल नीति लागू करने की घोषणा के बाद, मंत्रिपरिषद ने इसे औपचारिक रूप से स्वीकृति दे दी है। इसकी शुरुआत शिक्षा विभाग से की गई है। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली चौथे चरण की शिक्षक नियुक्ति परीक्षा (TRE-4) से इस नीति को लागू किया जाएगा।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस डोमिसाइल नीति का लाभ केवल उन्हीं उम्मीदवारों को मिलेगा, जिन्होंने बिहार के किसी मान्यता प्राप्त शैक्षणिक संस्थान से मैट्रिक या इंटर की परीक्षा पास की है। केवल आवासीय प्रमाणपत्र बनवाना इस नीति के अंतर्गत पात्रता नहीं देगा।
कैबिनेट के अहम फैसले में नीति को मिली औपचारिक स्वीकृति
अगस्त की पहली कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में कुल 36 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिनमें शिक्षक भर्ती से संबंधित डोमिसाइल नीति का संशोधन प्रमुख था। नए नियम के अनुसार, “बिहार राज्य विद्यालय शिक्षक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवा शर्तें) संशोधन नियमावली, 2025” के अंतर्गत, बिहार से शैक्षणिक योग्यता प्राप्त अभ्यर्थियों को शिक्षक पदों पर नियुक्ति में प्राथमिकता दी जाएगी।
इसका स्पष्ट आशय है कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों से पढ़े उम्मीदवारों को ही इस नीति के अंतर्गत विशेष वरीयता दी जाएगी।
सीएम के सोशल मीडिया एलान पर लगी मुहर
बीते सप्ताह मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर इस नीति को लेकर घोषणा की थी। उन्होंने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए थे कि शिक्षक बहाली में बिहार के मूल निवासियों को प्राथमिकता देने के लिए नियमों में संशोधन किया जाए। साथ ही यह भी स्पष्ट किया गया था कि TRE-4 परीक्षा 2025 में और TRE-5 परीक्षा 2026 में आयोजित होगी, जबकि TRE-5 से पहले STET परीक्षा कराई जाएगी।
अब मंत्रिपरिषद ने इस एलान पर आधिकारिक मोहर लगाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि केवल आवासीय प्रमाणपत्र के आधार पर कोई अभ्यर्थी ‘बिहार निवासी’ नहीं माना जाएगा। लाभ केवल उन्हीं को मिलेगा जो बिहार में पढ़े हैं।