SIR को लेकर विपक्ष हमलावर, जदयू और कांग्रेस सांसदों ने उठाए गंभीर सवाल

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) को लेकर राजनीतिक बहस तेज़ हो गई है। इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए जदयू सांसद गिरधारी यादव ने चुनाव आयोग की तैयारी और मंशा पर गंभीर आपत्तियाँ जताई हैं। उनका कहना है कि आयोग को राज्य की ऐतिहासिक और भौगोलिक परिस्थितियों की समझ नहीं है।

दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान गिरधारी यादव ने कहा कि आयोग के पास व्यवहारिक अनुभव का अभाव है। उन्होंने खुद के उदाहरण देते हुए कहा कि जरूरी दस्तावेज़ जुटाने में उन्हें दस दिन लग गए, जबकि उनके बेटे की उपस्थिति अमेरिका में है — ऐसे में दस्तखत जैसी औपचारिकताएँ एक महीने में कैसे पूरी होंगी?

“अगर सच नहीं बोल सकता, तो फिर सांसद बनने का क्या मतलब?”

गिरधारी यादव ने प्रक्रिया को आम नागरिकों की जमीनी स्थिति से कटा हुआ करार देते हुए कहा कि इतनी व्यापक कार्रवाई के लिए न्यूनतम छह महीने का समय दिया जाना चाहिए था। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनकी निजी राय है और पार्टी लाइन से इतर होकर भी वे अपनी बात कहेंगे। उन्होंने SIR को जल्दबाज़ी भरा कदम बताते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने जताई गहरी चिंता

जदयू सांसद के रुख का समर्थन करते हुए कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया पर गंभीर आशंकाएं जताईं। उन्होंने सवाल किया कि इतनी जटिल प्रक्रिया को महज एक महीने में पूरा करने का आधार क्या है? उन्होंने आशंका जताई कि यह कदम वंचित समुदायों—जैसे आदिवासी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यकों—के नाम मतदाता सूची से हटाने की साजिश हो सकता है। मसूद ने कहा कि कुछ ताकतें देश को उस दिशा में धकेल रही हैं, जहाँ चंद लोग शासन करें और बाकियों को हाशिए पर डाल दिया जाए। उन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखने की बात कही।

संसद में भी उठा मुद्दा, विपक्ष का विरोध प्रदर्शन

बुधवार को संसद के दोनों सदनों में भी SIR प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने जोरदार विरोध दर्ज कराया। राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही शोर-शराबे के कारण एक मिनट के भीतर स्थगित करनी पड़ी, जबकि लोकसभा में भी विपक्ष की नारेबाज़ी का माहौल बना रहा। संसद भवन के बाहर भी SIR के विरोध में विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया।

इसी बीच लोकसभा में केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मंडाविया ने ‘राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, 2025’ भी पेश किया, लेकिन SIR के मुद्दे पर विपक्ष का आक्रोश लगातार बना रहा।

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