वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर गरमाई सियासत, विपक्ष बोला– असली मुद्दा है नागरिकता

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर सियासी विवाद गहराता जा रहा है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रक्रिया को नागरिकता से जुड़ा अहम विषय बताते हुए कहा कि इसे अनावश्यक रूप से राजनीतिक रूप दे दिया गया है और वास्तविक मुद्दे को दबाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने अभी तक चुनाव बहिष्कार पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन सभी विकल्प खुले हैं।

राजनीतिक दलों की राय नहीं ली गई: मनोज झा

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने भी चुनाव आयोग पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि नए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने पदभार ग्रहण करते समय कहा था कि कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद ही लिया जाएगा। लेकिन बिहार में एसआईआर जैसे बड़े कदम से पहले किसी भी दल से राय नहीं ली गई, जबकि यह बीते दो दशकों का सबसे बड़ा प्रशासनिक फैसला है।

एसआईआर पर विवाद की वजह

चुनाव आयोग ने 24 जून को बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण की घोषणा की थी, जो 25 जून से 26 जुलाई 2025 के बीच आयोजित किया गया। आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य मतदाता सूची से फर्जी, अपात्र या दोहरे नामों को हटाना है। लेकिन विपक्षी दल इसे ‘नागरिकता जांच’ की प्रक्रिया बता रहे हैं, जो उन्हें लोकतांत्रिक अधिकारों से वंचित करने की चाल के रूप में दिखाई दे रही है।

उनका आरोप है कि इस पुनरीक्षण की आड़ में नागरिकता को लेकर लोगों को डराया जा रहा है और मताधिकार छीनने की आशंका भी जताई गई है।

चुनाव आयोग ने दी सफाई

विवाद बढ़ने पर चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई नाम मतदाता सूची से हट भी जाए, तो यह व्यक्ति की नागरिकता समाप्त होने का प्रमाण नहीं माना जाएगा। साथ ही आयोग ने यह भी कहा कि उसे संविधान और कानून के तहत यह अधिकार है कि वह मतदाता के रूप में पात्रता की जांच के लिए आवश्यक दस्तावेज मांग सके, ताकि केवल योग्य नागरिकों को ही वोट देने का अधिकार सुनिश्चित हो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here