बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग पर तीखा प्रहार किया है। वहीं, मंगलवार को चुनाव अधिकारियों ने सफाई देते हुए कहा कि यह प्रक्रिया पूर्णतः समावेशी और पारदर्शी है, और उस पर लगाए जा रहे सभी आरोप निराधार व तथ्यहीन हैं।
विपक्ष का आरोप है कि इस पुनरीक्षण के चलते लाखों मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं। इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया है और 10 जुलाई को सुनवाई तय की है। कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट), शिवसेना (यूबीटी), समाजवादी पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) सहित कई विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।
97% मतदाताओं तक पहुंचा गणना फॉर्म
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, पुनरीक्षण प्रक्रिया प्रदेश के 7.89 करोड़ से अधिक मतदाताओं को कवर कर रही है। अब तक 7.69 करोड़ यानी 97.42% मतदाताओं को पूर्व-भरे हुए गणना फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं। बूथ लेवल अधिकारी प्रत्येक घर में कम से कम तीन बार जाकर फॉर्म इकट्ठा कर रहे हैं ताकि कोई भी नाम छूटने न पाए।
पुनरीक्षण के चरण और सूची में शामिल होने की प्रक्रिया
पहला चरण पूरा किया जा चुका है और फिलहाल दूसरा चरण जारी है। जिन मतदाताओं ने फॉर्म 25 जुलाई से पहले जमा किया है, उनके नाम 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली मसौदा सूची में जोड़े जाएंगे। अधिकारी स्पष्ट करते हैं कि जिनकी मृत्यु हो चुकी है, स्थानांतरित हो गए हैं या पलायन कर चुके हैं, उनके नाम की जांच कर उचित निर्णय लिया जाएगा।
दस्तावेज जमा करने के लिए अलग से भी समय
मतदाता पात्रता से जुड़े दस्तावेज दावों और आपत्तियों की अवधि के दौरान – जो 1 सितंबर तक चलेगी – अलग से भी प्रस्तुत किए जा सकते हैं। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 के अनुसार पात्रता का निर्धारण किया जाता है।
नाम हटाने और अपील की प्रक्रिया स्पष्ट
चुनाव अधिकारियों ने बताया कि किसी मतदाता का नाम सूची से हटाने का निर्णय तभी लिया जाएगा जब निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) जांच के बाद ऐसा पाएगा। इसके खिलाफ जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) के समक्ष और फिर मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) के पास भी अपील की जा सकती है।
ईआरओ, दस्तावेज और फील्ड रिपोर्ट के आधार पर पात्रता तय करता है और यदि कोई संदेह होता है, तो संबंधित व्यक्ति को नोटिस देकर उसका पक्ष जानने का अवसर भी दिया जाता है।