बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सियासी गतिविधियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी राज्य में दलित वोट बैंक को मजबूत करने के प्रयास में जुटे हैं। 15 मई को उनका बिहार दौरा निर्धारित है, जो पिछले पांच महीनों में उनका चौथा दौरा होगा। कांग्रेस का मुख्य फोकस दलित वोटरों पर है। वहीं, मई के आखिरी सप्ताह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिहार दौरे पर आएंगे, जिससे चुनावी माहौल और गर्म हो गया है।
राहुल गांधी का दलित कार्ड और सामाजिक न्याय पर जोर
राहुल गांधी के बिहार दौरे का मुख्य उद्देश्य दलित और अति पिछड़ा वर्ग के मुद्दों को उठाना है। वे पटना में सामाजिक न्याय से जुड़े कार्यकर्ताओं के साथ मुलाकात करेंगे और ‘फुले’ फिल्म भी देखेंगे। यह फिल्म समाज सुधारक ज्योतिबा फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित है। फिल्म देखने के जरिए राहुल सामाजिक न्याय का सियासी संदेश देने की कोशिश करेंगे।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव सुशील पासी ने बताया कि राहुल गांधी दलित और अति पिछड़ा वर्ग के छात्रों से संवाद करेंगे। वे दरभंगा या मुजफ्फरपुर में छात्रों के हॉस्टल जाकर शिक्षा, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे। कांग्रेस का मानना है कि राज्य में शिक्षा और रोजगार की समस्या गंभीर है, खासकर दलित और अति पिछड़ा वर्ग के लिए।
पीएम मोदी का दौरा और बीजेपी की रणनीति
बिहार बीजेपी अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मई के अंतिम सप्ताह में बिहार आएंगे और रोहतास जिले के बिक्रमगंज में रैली को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री का दौरा 25 से 30 मई के बीच संभावित है। माना जा रहा है कि पीएम मोदी अपने दौरे में 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद बिहार से सियासी एजेंडा सेट करेंगे।
दलित वोटों पर कांग्रेस की नजर
कांग्रेस ने हाल ही में राजेश कुमार को बिहार का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। राजेश कुमार दलित समुदाय से आते हैं, जिससे पार्टी ने स्पष्ट संदेश दिया है कि इस बार दलित और मुस्लिम समीकरण पर जोर रहेगा। बिहार में लगभग 16% दलित आबादी है, जो 243 विधानसभा सीटों में से 38 पर प्रभावी है। राहुल गांधी की रणनीति है कि दलित वोट बैंक को कांग्रेस के पक्ष में मोड़ा जाए।
कास्ट पॉलिटिक्स का गणित
बिहार की राजनीति में जातीय समीकरण अहम भूमिका निभाते हैं। बीजेपी लंबे समय से इस आधार पर अपनी पकड़ मजबूत नहीं कर पाई है। कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक दलित, मुस्लिम और सवर्ण जातियों में था, लेकिन सत्ता से बाहर होने के बाद यह आधार कमजोर हो गया। 2024 लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को दोबारा उभरने का मौका मिला है।
राहुल गांधी का सामाजिक न्याय का एजेंडा
राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान से ही दलित मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं। उन्होंने कई बार आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग की है। बिहार में रोजगार और आरक्षण का मुद्दा बेहद संवेदनशील है, और कांग्रेस इसी मुद्दे को भुनाने की रणनीति बना रही है। अगर राहुल गांधी की यह कोशिश सफल होती है, तो दलित वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा कांग्रेस के पक्ष में आ सकता है।