बिहार विधानसभा चुनाव के नज़दीक आते ही राजनीतिक बयानबाजी चरम पर पहुंच गई है। एक ओर एनडीए जहां अपनी उपलब्धियों को गिना रहा है, वहीं विपक्ष सरकार को युवाओं की दिशा और डिजिटल आदतों पर घेर रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को बिहार में अपने चुनावी प्रचार की शुरुआत करते हुए डिजिटल इंडिया मिशन की उपलब्धियों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि “आज भारत में 1 जीबी डेटा की कीमत एक कप चाय से भी कम है।” पीएम मोदी ने कहा कि सस्ते इंटरनेट की वजह से बिहार के युवा अपनी कला और क्रिएटिविटी से देश-दुनिया में पहचान बना रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया रील्स ट्रेंड को भारत के डिजिटल सशक्तिकरण की मिसाल बताया।

हालांकि, उनके इस बयान पर विपक्ष ने कड़ा पलटवार किया। बिहार कांग्रेस ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) अकाउंट पर राहुल गांधी का एक पुराना वीडियो साझा करते हुए लिखा—“अंतर साफ है।” इस वीडियो में राहुल गांधी कहते नजर आते हैं, “आज के युवा रोजाना 7-8 घंटे रील देखते हैं, जबकि अंबानी-अडानी के बेटे पैसे गिनने में व्यस्त रहते हैं।” कांग्रेस का तर्क है कि सस्ता डेटा युवाओं को उत्पादकता से दूर ले जा रहा है।

इस बहस में जन सुराज के नेता प्रशांत किशोर (PK) भी कूद पड़े। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि बिहार में सस्ता डेटा दे रहे हैं, लेकिन हमें डेटा नहीं, बेटा चाहिए। आप उद्योग गुजरात ले जाएंगे और डेटा बिहार को देंगे ताकि यहां के लोग अपने बच्चों को केवल वीडियो कॉल पर ही देख सकें।”

वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि रील बनाना और देखना दोनों ही पक्ष मौजूद हैं। एक ओर कुछ युवा सोशल मीडिया से आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रहे हैं, तो दूसरी ओर रील देखने में घंटों बिताने से पढ़ाई और कामकाज पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अत्यधिक इंटरनेट उपयोग से युवाओं की आत्म-नियंत्रण क्षमता में कमी आती है और यह मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि सोशल मीडिया पर बिताया गया समय सीमित करने से इसके दुष्प्रभावों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।