पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए मतदाता सूची के व्यापक पुनरीक्षण का कार्य ज़ोर पकड़ रहा है। राज्यभर में घर-घर जाकर बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) की टीमों को बड़ी संख्या में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार मूल के लोग मिले हैं, जिनके पास आधार कार्ड, निवास प्रमाणपत्र और राशन कार्ड जैसे दस्तावेज मौजूद हैं।
संदिग्ध नामों की होगी जांच
भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने स्पष्ट किया है कि 1 से 30 अगस्त तक ऐसे संदिग्ध नामों की गहन जांच की जाएगी। यदि जांच में इन लोगों की नागरिकता या पात्रता पर सवाल साबित होते हैं, तो इन नामों को आगामी 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
80% से अधिक मतदाताओं ने किया फॉर्म जमा
ईसीआई के अनुसार, शनिवार शाम तक 80.11% मतदाताओं ने गणना प्रपत्र (ईएफ) जमा कर दिए हैं। कुल 6.32 करोड़ से अधिक मतदाता ईएफ जमा कर चुके हैं। राज्यभर में 77,895 बीएलओ और 20,603 नव-नियुक्त बीएलओ इस काम में लगे हुए हैं, जिनकी निगरानी जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ), निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) और सहायक ईआरओ कर रहे हैं।
राजनीतिक दल और स्वयंसेवकों की भी भागीदारी
इस अभियान में राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त 1.5 लाख बीएलए और चार लाख से अधिक स्वयंसेवक भी सहयोग कर रहे हैं, जो वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और वंचित वर्गों तक पहुंच सुनिश्चित कर रहे हैं। 1 अगस्त को जारी होने वाली मसौदा सूची में नाम दर्ज कराने के लिए मतदाताओं को पात्रता दस्तावेजों के साथ ईएफ भरना अनिवार्य है।
ईसीआईनेट पर 4.66 करोड़ फॉर्म डिजिटल रूप से अपलोड
निर्वाचन आयोग ने बताया कि अब तक 4.66 करोड़ गणना फॉर्म को ईसीआईनेट प्लेटफ़ॉर्म पर डिजिटल रूप से अपलोड किया जा चुका है। यह ईसीआई का नया एकीकृत सॉफ्टवेयर है, जिसमें पहले से मौजूद 40 विभिन्न ऐप्स को एकीकृत किया गया है।
25 जुलाई से पहले पूरा हो सकता है लक्ष्य
आयोग को उम्मीद है कि मौजूदा रफ्तार बरकरार रही तो 25 जुलाई की निर्धारित समय सीमा से पहले ही अधिकांश फॉर्म संग्रह का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। पात्र दस्तावेज़ों की देरी होने की स्थिति में 30 अगस्त तक दावा-आपत्ति दर्ज की जा सकती है।