बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को फिर सुनवाई हुई। कोर्ट ने चुनाव आयोग की प्रक्रिया में खामियों को उजागर करने वाली याचिकाओं पर चर्चा के दौरान बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (BSLSA) को मतदाताओं की मदद करने के निर्देश दिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिन मतदाताओं के नाम SIR में कटे हैं, उनकी अपील पर समय सीमा के भीतर फैसला होना चाहिए। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस बिंदु पर अगली सुनवाई के दौरान विचार करने का संकेत दिया।
चुनाव आयोग ने याचिका में दावा किया कि एक एनजीओ ने गलत विवरण प्रस्तुत किया है और ऐसे व्यक्ति का नाम अंतिम मतदाता सूची से हटाए जाने का दावा किया गया, जो वास्तव में सूची में था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और कहा कि झूठे विवरण दायर करना चिंता का विषय है।
एनजीओ की तरफ से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अंतिम सूची से बाहर किए गए मतदाताओं की जानकारी BSLSA की मदद से सत्यापित की जा सकती है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने BSLSA को निर्देश दिया कि वह अपने जिला-स्तरीय निकाय के माध्यम से मतदाताओं को अपील दायर करने में सहायता करे। पीठ ने कहा कि अर्ध-विधिक स्वयंसेवकों की एक सूची तैयार की जाए और सुनिश्चित किया जाए कि अपील करने वाले मतदाताओं के पास उनके नाम काटने के विस्तृत आदेश हों।
पीठ ने यह भी कहा कि अपील प्रक्रिया सभी के लिए पारदर्शी और उचित हो, और केवल एक पंक्ति का आदेश न दिया जाए।
इससे पहले कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग से बिहार में SIR को लेकर सवाल उठाए थे। पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने मतदाता सूची में डुप्लीकेट नामों और पारदर्शिता पर आयोग से स्पष्टीकरण मांगा।
चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया को सफल बताया है। CEC ज्ञानेश कुमार के अनुसार, बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर दो चरणों में मतदान कराया जाएगा। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे चरण का 11 नवंबर को होगा, जबकि नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे। एसआईआर प्रक्रिया पूरी होने के बाद सूची में कुल 7.23 करोड़ मतदाता शामिल किए गए हैं। हालांकि, कई वकीलों और याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अभी भी डुप्लीकेट नाम और कुछ अन्य विसंगतियां सूची में मौजूद हैं, साथ ही घुसपैठियों के मुद्दे पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।