सरकार बनने पर वक्फ बिल को खत्म करेंगे: तेजस्वी यादव का तीखा बयान

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को वक्फ संशोधन विधेयक पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर बिहार में उनकी सरकार बनी तो वे इस बिल को कूड़ेदान में फेंक देंगे. तेजस्वी यादव ने कहा कि ये शातिर लोग मुसलमानों के नाम पर मंडल हिंदुओं को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. इस बिल के जरिए बीजेपी का असली निशाना सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि दलित और पिछड़े वर्ग भी हैं.

तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए इस बिल को आरएसएस और बीजेपी की लॉन्ग टर्म परियोजना करार दिया है. उन्होंने कहा कि यह दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक और धार्मिक रूप से मुख्यधारा से दूर करने की चाल है. उन्होंने वक्फ बिल का विरोध करते हुए कहा कि मुसलमानों के साथ-साथ मंडल हिंदुओं को भी नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. वक्फ बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है.

बिल का समर्थन करने वालों को झेलना पड़ेगा- तेजस्वी

तेजस्वी यादव ने कहा कि ‘मैं हिंदू भाइयों से कहना चाहता हूं कि यह दलित, पिछड़ा और अति पिछड़ा को मुख्य धारा से दूर करने की साजिश है. आपने देखा कि 65 फीसदी आरक्षण को इन्हीं लोगों ने रोकने का काम किया. हमारा मानना है कि मुसलमान ही नहीं इनका असल निशाना दलित-पिछड़ भी है. संसद में जिन लोगों ने बिल का समर्थन किया है, चुनाव में उन लोगों को झेलना पड़ेगा.’

उन्होंने कहा कि, ‘आरक्षण की लड़ाई जिस प्रकार से हम लोगों ने बढ़ाया था. लेकिन बीजेपी ने साजिश के तहत आकर उसे रुकवाने का काम किया. हम लोग आरक्षण की लड़ाई के लिए कोर्ट में गए, सड़क पर भी हमने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया. इसी प्रकार मुसलमान भाइयों के वक्फ बिल को लेकर हम लोग सुप्रीम कोर्ट गए हैं. जब हमारी सरकार बनेगी तो इस बिल को कूड़ेदान में फेंका जाएगा.’

ये हिंदुओं का 65% आरक्षण क्यों रोके हुए है?

आरजेडी नेता ने आगे कहा कि, ‘ये दलित और पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदुओं का 65% आरक्षण क्यों रोके हुए है? ये दलित-पिछड़े-अतिपिछड़े और आदिवासी हिंदुओं की गणना क्यों नहीं कराना चाहते?’ उन्होंने कहा कि ये डबल इंजन सरकार धार्मिक न्यास बोर्ड, बड़े मंदिरों के ट्रस्ट इत्यादि में दलित-पिछड़े और आदिवासी हिंदुओं को बराबर की जगह क्यों नहीं देना चाहती? वक्फ बिल संसद के दोनों सदन से पास हो चुका है. अब इसे कानून बनने के लिए केवल राष्ट्रपति से मंजूरी मिलनी है. वहीं, इसको लेकर आरजेडी समेत कई दलों ने कोर्ट का रुख किया है.

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