पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने माना कि राम रहीम हार्ड-कोर क्रिमिनल की श्रेणी में नहीं है। हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाते हुए हरियाणा सरकार द्वारा राम रहीम को दी गई 20 दिनों की फरलो को चुनौती देने वाली याचिका का भी निपटारा कर दिया। डेरा प्रमुख को पंजाब विधानसभा के दौरान फरलो दी गई थी। इसके खिलाफ पटियाला के परमजीत सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी।

याचिका में कहा गया था कि राम रहीम को कई संगीन अपराधों का दोषी करार दिया जा चुका है और वह सुनारिया जेल में सजा काट रहा है। इसके अलावा उसके खिलाफ कुछ आपराधिक मामले भी अदालतों में चल रहे हैं। 

बावजूद इसके हरियाणा सरकार ने डेरा प्रमुख को 7 फरवरी से 27 फरवरी तक 20 दिनों की फरलो दे दी। याची ने कहा था कि पंजाब विधानसभा के 20 फरवरी को चुनाव थे, ऐसे में ठीक इन चुनावों से पहले डेरा मुखी को फरलो राजनीतिक लाभ उठाने के लिए ही दी गई है। ऐसे में डेरा मुखी की फरलो के आदेश रद्द करने की हाईकोर्ट से मांग की गई है।

इस याचिका के विरोध में हरियाणा सरकार ने अपना जवाब दायर कर कहा कि डेरामुखी पर हत्या की साजिश रचने का आरोप है और वह सीधे तौर पर हत्यारा नहीं है। ऐसे में उसे हार्डकोर अपराधी नहीं कहा जा सकता। इसके साथ ही यह भी बताया कि यदि कोई हार्डकोर अपराधी हो भी तो उसे 5 वर्ष की सजा पूरी होने के बाद फरलो का अधिकार है। 

हरियाणा के एजी ने भी अपनी कानूनी राय सरकार को देते हुए कहा था कि राम रहीम हार्डकोर क्रिमिनल नहीं है। हाईकोर्ट ने सरकार के इस जवाब पर कहा था कि सरकार ऐसी कोई जजमेंट पेश करे, जिसके तहत यह साबित हो सके कि डेरा मुखी को हार्डकोर क्रिमिनल नहीं माना सकता। इस दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि राम रहीम को आईपीसी की धारा 120बी और 302 के तहत दोषी करार दिया गया है और ऐसे में वह हत्यारा है। वह हार्डकोर अपराधी है। साथ ही यह भी बताया कि वह 2021 में हार्डकोर अपराधी बना था और हार्डकोर अपराधी बनने के 5 साल बाद ही उसे फरलो का लाभ दिया जा सकता है। सभी पक्षों को सुनने के बाद शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।