छत्तीसगढ़ के बिलासपुर रेलवे स्टेशन के पास सोमवार देर रात बड़ा रेल हादसा हो गया। यहां एक पैसेंजर मेमू ट्रेन की मालगाड़ी से जोरदार टक्कर हो गई, जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई, जबकि करीब 20 यात्री घायल हुए हैं। हादसे की वजह का फिलहाल स्पष्ट खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन प्रारंभिक जांच में सिग्नल इग्नोर करने की संभावना जताई जा रही है।
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया भयावह मंजर
ट्रेन हादसे के प्रत्यक्षदर्शी और यात्री संजय विश्वकर्मा ने बताया कि हादसे से कुछ ही क्षण पहले सब कुछ सामान्य था। “मैं मोबाइल चला रहा था, कुछ यात्री बातें कर रहे थे, जबकि कई लोग नींद में थे। अचानक एक जोरदार झटका लगा और कान सुन्न कर देने वाली आवाज आई। खिड़कियों के शीशे टूट गए और डिब्बे में अंधेरा छा गया,” उन्होंने बताया।
संजय के मुताबिक, उनका कोच टक्कर के बाद मालगाड़ी के ऊपर चढ़ गया। “जब होश आया, तो मैं सीट के नीचे फंसा हुआ था। आसपास लोग मदद के लिए चीख रहे थे। मेरे सामने तीन शव पड़े थे, जिनमें एक महिला भी शामिल थी। वह दृश्य आज भी याद कर सिहरन पैदा करता है,” संजय ने अस्पताल के बिस्तर से कहा।
राहत-बचाव अभियान जारी
टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि मेमू ट्रेन का आगे का हिस्सा पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। हादसे की सूचना मिलते ही प्रशासन और रेलवे की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू किया। कई यात्रियों को देर रात तक कोचों से बाहर निकाला गया।
बिलासपुर के कलेक्टर संजय अग्रवाल ने बताया कि देर रात तक दो यात्री कोच में फंसे हुए थे, जिन्हें निकालने का प्रयास जारी था। कई घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
मृतकों के परिजनों को मुआवजा
रेलवे ने हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को 5-5 लाख रुपये और सामान्य घायलों को 1-1 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी।
प्रशासन ने बताया कि हादसे के कारणों की जांच के लिए एक उच्चस्तरीय टीम गठित की गई है। प्राथमिक जांच में यह आशंका जताई जा रही है कि मेमू ट्रेन चालक ने लाल सिग्नल को नजरअंदाज किया, जिसके चलते यह भीषण दुर्घटना हुई।