राजधानी में यातायात व्यवस्था की निगरानी करने के लिए एआई आधारित तकनीक का जाल बिछाया जाएगा। इसके लिए बीते मार्च में ही टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन अपेक्षित बोलीदाता नहीं मिलने से योजना धरातल पर नहीं उतर सकी। परिवहन विभाग ने अब फिर से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की योजना बना रहा है। अब बृहस्पतिवार उपराज्यपाल वीके सक्सेना के निर्देश के बाद परिवहन विभाग एक बार फिर से टेंडर प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। अधिकारियों की मानें तो जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के साथ एक महीने के भीतर काम शुरू हो जाएगा।

दिल्ली सरकार के दिल्ली ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमेटेड (डीटीआईडीसी) की यह योजना तीन चरणों में पूरी होगी। पहले साल में 20 फीसदी, दूसरे में 60 फीसदी व तीसरे साल में 100 फीसदी काम होगा। पीपीपी मोड के इस प्रोजेक्ट की हर साल समीक्षा होगी। प्रोजेक्ट तैयार करने वाली कंपनी को न्यूनतम 25 सालों तक इसे चलाना पड़ेगा। 

अधिकारियों का मानना है कि इस पूरी योजना के लागू करने में 50 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। यह परियोजना इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम (आइटीएस) पर आधारित है। इसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित अत्याधुनिक कैमरों से सड़कों पर सातों दिन व 24 घंटे निगरानी रखी जाएगी। इससे जरूरत के हिसाब से रीयल टाइम बेसिस पर यातायात व्यवस्था का प्रबंधन करना संभव होगा। वहीं, कारीडोर विशेष के लिए अल्पकालिक व दीर्घकालिक योजना भी तैयार होगी।

पांच हजार जंक्शनों पर लगेंगे कैमरे
अधिकारियों के अनुसार, एआई आधारित कैमरे दिल्ली के पांच हजार यातायात जंक्शनों पर लगाए जाएंगे। इन जक्शनों पर कई कैमरें अलग-अलग कार्य के लिए लगाए जाएंगे। एआई कैमरे बसों की लेन जांच, ओवरस्पीडिंग, बिना हेलमेट, बिना सीट बेल्ट वाले वाहन चालकों, दोपहिया वाहनों पर मोबाइल फोन के उपयोग, लालबत्ती जंप करने, चोरी के वाहनों का उपयोग समेत सभी तरह के यातायात नियमों के उल्लंघन का पता लगाने के लिए होगा। 

इसमें कैमरा नंबर प्लेट पढ़ लेगा और सिस्टम वाहन के मालिक की पहचान करेगा और अन्य विवरण भी तैयार करेगा। यह भी पता लगाएगा कि वाहन के पास वैध पीयूसीसी है या नहीं। यह कैमरे अलग-अलग डाटाबेस से जुड़े होंगे। इसमें जीएसटी, पुलिस, ई-वाहन और वाहन रजिस्ट्री डेटाबेस प्रणाली आदि विभागों के डाटा होंगे। इससे बिना बीमा के, उम्र पूरी कर चुके वाहन, ग्रेप के दौरान नियम को तोड़ने वाले वाहन, चोरी के वाहन, बिना बिल के खरीदे गए वाहन, प्रतिबंधित वाहन, आदि पर कार्रवाई होगी। इन कैमरों में कई दिनों तक डाटा भंडारण की सुविधा भी होगी।

डाटा तैयार करने में होगी आसानी
योजना के शुरू होने से दिन, सप्ताह, माह के हिसाब से यातायात का डाटा तैयार किया जाएगा। इससे जाम, ब्लैकस्पाॅट, सड़क हादसों वाले स्थान आदि का पता लग सकेगा। साथ ही सड़क हादसों का भी डाटा निकालने में मदद मिलेगी। इस योजना के तहत कमांड कंट्रोल सेंटर बनाया जाएगा और इससे पूरी व्यवस्था की निगरानी की जाएगी। इसमें कई अलग-अगल सर्वर हाेंगे। यहां पर यातायात से संबंधित सभी बिंदुओं का डीप लर्निंग टेक्नॉलाजी की मदद से विश्लेषण भी किया जाएगा।

परियोजना में परिवहन विभाग के साथ ट्रैफिक पुलिस, लोक निर्माण विभाग व स्वास्थ्य विभाग भी शामिल है। इससे सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाने में भी मदद मिलेगी। यातायात नियमों को तोड़ने वाले वाहन का चालान सिस्टम खुद ही काट देगा। साथ ही वाहन मालिक के पास ई-चालान पहुंच भी जाएगा। इससे सड़क दुर्घटनाओं में कौन दोषी है, इसका आसानी से पता लगाया जा सकेगा। डाटा को ई-चालान प्रणाली के साथ एकीकृत किया जाएगा।