नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को 3,600 करोड़ रुपये के अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले के आरोपी क्रिश्चियन मिशेल जेम्स की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जेम्स ने भारत-यूएई प्रत्यर्पण संधि के अनुच्छेद 17 को चुनौती दी थी, जो प्रत्यर्पित व्यक्ति पर न केवल उस विशेष अपराध के लिए बल्कि उससे जुड़े अन्य अपराधों के लिए भी मुकदमा चलाने की अनुमति देता है।
जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस मनोज जैन की खंडपीठ ने कहा कि याचिका में कोई प्रभावी राहत मांगी गई प्रतीत नहीं होती, इसलिए इसे वर्तमान रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता। खंडपीठ ने जेम्स को दो विकल्प दिए—याचिका को सुधारकर फिर से दाखिल करना या तर्क के साथ सुनवाई कराना, लेकिन वर्तमान याचिका पर कोई राहत नहीं दी जाएगी। जेम्स के वकील ने याचिका वापस लेते हुए नई याचिका दाखिल करने की अनुमति मांगी।
अदालत ने स्पष्ट किया कि संधि संसद द्वारा पारित नहीं हुई थी, इसलिए इसे कानून घोषित कर असंवैधानिक ठहराया नहीं जा सकता। जेम्स का तर्क था कि प्रत्यर्पित व्यक्ति पर केवल उसी अपराध के लिए मुकदमा चलाया जाना चाहिए, जिसके लिए प्रत्यर्पण हुआ, न कि उससे जुड़े अन्य अपराधों के लिए।
जेम्स दिसंबर 2018 में दुबई से प्रत्यर्पित हुए थे और प्रत्यर्पण के बाद उन्हें सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार किया। वे इस मामले में जांच किए जा रहे तीन कथित मिडिलमैन में से एक हैं; बाकी दो गुइडो हास्चके और कार्लो जेरोसा हैं।
सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि 8 फरवरी 2010 को वीवीआईपी हेलीकॉप्टर की आपूर्ति के लिए हुई डील से सरकारी खजाने को 398.21 मिलियन यूरो (करीब 2,666 करोड़ रुपये) का नुकसान हुआ। वहीं, ED ने जून 2016 में जेम्स के खिलाफ चार्जशीट में आरोप लगाया कि उन्होंने अगस्ता वेस्टलैंड से 30 मिलियन यूरो (करीब 225 करोड़ रुपये) की रिश्वत ली।