राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार खतरनाक स्थिति में बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, कई क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) ‘खराब’ से ‘बेहद खराब’ श्रेणी में पहुंच गया है। सोमवार को दर्ज आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली के एम्स में एक्यूआई 297, लोधी रोड पर 153, आनंद विहार में 392 और कर्तव्य पथ पर 278 रहा। सुबह के समय शहर के कई हिस्सों में धुंध की मोटी परत देखी गई, जिससे सांस लेना और बाहर निकलना कठिन हो गया।
हवा में हल्का सुधार, लेकिन संकट बरकरार
राजधानी में सोमवार को हवा की रफ्तार बढ़ने से प्रदूषण स्तर में मामूली सुधार जरूर हुआ, लेकिन राहत अभी दूर है। इस दौरान औसत एक्यूआई 309 दर्ज किया गया, जो रविवार की तुलना में 57 अंकों की गिरावट दर्शाता है।
एनसीआर में गाजियाबाद सबसे प्रदूषित शहर रहा, जहां एक्यूआई 340 दर्ज किया गया। इसके अलावा, नोएडा में 312, ग्रेटर नोएडा में 300 और गुरुग्राम में 235 एक्यूआई दर्ज हुआ। फरीदाबाद की हवा सबसे साफ रही, जहां सूचकांक 198 के साथ ‘मध्यम’ श्रेणी में रहा।#WATCH | Delhi | Latest visuals from the area around AIIMS. AQI around the area is 297, categorised as 'Poor' by the Central Pollution Control Board (CPCB). pic.twitter.com/6PrBhlpCeZ
— ANI (@ANI) November 4, 2025
मंगलवार को हालात और बिगड़ने की आशंका
सीपीसीबी के पूर्वानुमान के मुताबिक, मंगलवार को हवा ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच सकती है। इससे सांस के मरीजों, बच्चों और बुजुर्गों को परेशानी हो सकती है। रविवार को उत्तर-पश्चिम दिशा से 15 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चल रही हवा रात तक धीमी पड़ गई, जिससे प्रदूषक तत्वों का फैलाव रुक गया। कई इलाकों में पीएम2.5 का स्तर 150 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक दर्ज हुआ।
दिल्ली में सबसे ज्यादा प्रदूषित क्षेत्र
वजीरपुर में 380, विवेक विहार में 402, आरके पुरम में 401, रोहिणी में 396 और आनंद विहार में 362 एक्यूआई दर्ज किया गया। दीपावली के बाद से अधिकांश इलाकों में एक्यूआई ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बना हुआ है, जबकि ग्रैप-2 के तहत प्रतिबंध अब भी लागू हैं।
प्रदूषण के प्रमुख कारण
प्रदूषण विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली की हवा बिगाड़ने में कई कारक जिम्मेदार हैं—
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लैंडफिल साइटें: गाजीपुर, भलस्वा और ओखला में कूड़े के पहाड़ अब भी प्रदूषण फैला रहे हैं।
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निर्माण कार्यों की धूल: बिना नियमों के चल रहे निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल वायुमंडल में घुल रही है।
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वाहनों का धुआं: शहर में रोजाना करीब एक करोड़ वाहन सड़कों पर उतरते हैं, जिनसे निकलने वाला धुआं और टायरों की घर्षण धूल हवा को जहरीला बना रही है।
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सड़क और फुटपाथ की धूल: मशीनों से सफाई के बावजूद फुटपाथों पर जमी धूल उड़ती रहती है।
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खुले में कूड़ा जलाना और औद्योगिक उत्सर्जन: इन दोनों ने भी हालात को और गंभीर बना दिया है।
 
एनसीआर के शहरों में भी सांसें मुश्किल
ग्रेटर नोएडा में सोमवार को एक्यूआई घटकर 300 रहा, जो रविवार के 340 से कुछ बेहतर है। वहीं गाजियाबाद का एक्यूआई 340 दर्ज किया गया और यह देश के सबसे प्रदूषित शहरों में छठवें स्थान पर रहा। वसुंधरा (370) और लोनी (362) जिले के सबसे प्रदूषित क्षेत्र रहे। बल्लभगढ़ में भी एक्यूआई लगातार 300 के ऊपर बना हुआ है।
स्वास्थ्य पर खतरे का असर
विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस प्रदूषण के चलते फेफड़ों और दिल के मरीजों को गंभीर दिक्कत हो सकती है। बच्चों और बुजुर्गों को बाहर निकलने से बचने की सलाह दी गई है। डॉक्टरों के अनुसार, लगातार बढ़ते प्रदूषण से खांसी, आंखों में जलन और सांस फूलने जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।