2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई में दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कई वीडियो प्रस्तुत किए। इनमें शरजील इमाम को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों के साथ दिखाया गया है। पुलिस का दावा है कि इन भाषणों ने प्रदर्शनकारियों को उकसाया और माहौल को प्रभावित किया। वहीं, शरजील इमाम लगातार यह कहते रहे हैं कि उनके भाषण शांतिपूर्ण विरोध की अपील पर आधारित थे और उन्होंने किसी तरह की हिंसा को बढ़ावा नहीं दिया।
जमानत याचिकाओं पर कड़ा रुख
उमर खालिद, शरजील इमाम और अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस ने अदालत में कहा कि ‘बौद्धिक वर्ग’ के लोग जब उग्र गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो उनका प्रभाव जमीनी स्तर पर हिंसा करने वालों से अधिक खतरनाक होता है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस.वी. राजू ने तर्क दिया कि ट्रायल में हुई देरी का लाभ उठाकर आरोपी जमानत की मांग कर रहे हैं, जबकि देरी की वजह उनके ही द्वारा दायर किए गए अनेक आवेदनों और प्रक्रियात्मक मुद्दों को बताया गया।
'पेशेवरों द्वारा देशविरोधी गतिविधियों' पर चिंता
सुनवाई के दौरान पुलिस ने यह भी कहा कि देश में नए तरह का रुझान सामने आ रहा है, जहां डॉक्टर, इंजीनियर और अन्य पेशेवर अपने-अपने क्षेत्र से हटकर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं। पुलिस ने इसे गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि अदालत को ऐसे मामलों में सतर्क रुख अपनाने की आवश्यकता है।
जमानत याचिका खारिज करने की पूर्व मांग
30 अक्तूबर को भी दिल्ली पुलिस ने दंगों के आरोपियों की जमानत याचिकाओं को खारिज करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था। पुलिस का आरोप है कि दंगों को केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि उन्हें देशभर में फैलाकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि प्रभावित करने की योजना बनाई गई।
ट्रंप की यात्रा के समय हिंसा भड़काने की साजिश का दावा
एएसजी राजू ने कहा कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के समय जानबूझकर तेज किया गया, ताकि विदेशी मीडिया का ध्यान आकर्षित किया जा सके। उनका दावा था कि यह केवल विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि सड़क जाम करने, अराजकता फैलाने और ‘व्यवस्था परिवर्तन’ की कोशिश का हिस्सा था।
पुलिस ने कहा कि प्राप्त चैट संदेशों और डिजिटल सबूतों में ट्रंप का नाम आने से यह स्पष्ट होता है कि योजना सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं थी, बल्कि दंगे पूरे देश में फैलाने की तैयारी की गई थी।
'पूर्व नियोजित और संगठित साजिश'
दिल्ली पुलिस का आरोप है कि उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरान हैदर और रहमान इस कथित साजिश के मुख्य चेहरे थे। उन पर यूएपीए और आईपीसी की कई धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज हैं। फरवरी 2020 में भड़की हिंसा में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक घायल हुए थे। पुलिस का कहना है कि ये दंगे स्वतःस्फूर्त नहीं थे, बल्कि एक संगठित, गहरी और सांप्रदायिक आधार पर समाज को बांटने वाली साजिश का हिस्सा थे।