राजधानी में पहाड़ों से आती ठंडी हवाओं और पराली के धुएं ने वायु गुणवत्ता को गंभीर रूप से प्रभावित कर दिया है। ठंडी हवा ने प्रदूषक कणों को हवा में फैलाया, जिससे सांस लेने में परेशानी बढ़ गई है। शनिवार को वायु गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के अनुसार पराली से होने वाला प्रदूषण 30.915 प्रतिशत दर्ज किया गया, जबकि रविवार को यह 31.246 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।

वाहनों से निकलने वाला प्रदूषण 15.321 प्रतिशत रहा। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 361 पर पहुंच गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। शुक्रवार के मुकाबले एक्यूआई में 39 अंक की बढ़ोतरी देखी गई। सुबह धुंध और हल्के कोहरे के साथ दिन की शुरुआत हुई, जबकि सफदरजंग एयरपोर्ट पर सुबह 6:30 बजे दृश्यता 900 मीटर दर्ज की गई, जो आठ बजे बढ़कर 1200 मीटर हो गई। इस दौरान लोग मास्क पहनकर बाहर निकले और सांस संबंधी मरीजों को कठिनाई का सामना करना पड़ा।

एनसीआर में नोएडा सबसे प्रदूषित
एनसीआर में दिल्ली के बाद नोएडा की हवा सबसे खराब रही, जहां एक्यूआई 354 दर्ज किया गया। गाजियाबाद में 339, ग्रेटर नोएडा में 336 और गुरुग्राम में 236 एक्यूआई रिकॉर्ड हुआ। फरीदाबाद की हवा अपेक्षाकृत साफ रही, जहां सूचकांक 264 रहा।

हवा की गुणवत्ता मंगलवार तक ‘बेहद खराब’ रहने की संभावना
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, मंगलवार तक राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ बनी रहेगी। पश्चिम दिशा से चल रही हवाओं की गति 16 किमी प्रति घंटा रही, जिससे प्रदूषण में कुछ गिरावट आई है। अनुमानित अधिकतम मिश्रण गहराई 1500 मीटर और वेंटिलेशन इंडेक्स 9000 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रिकॉर्ड किया गया।

PM10 और PM2.5 का स्तर चिंताजनक
शाम चार बजे पीएम10 की मात्रा 324.3 और पीएम2.5 की मात्रा 190.2 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही। दिल्ली के विभिन्न मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। दीपावली के बाद कई इलाकों में वायु गुणवत्ता खराब और बेहद खराब बनी हुई है।

प्रदूषण के प्रमुख स्रोत

  • गाजीपुर, ओखला और भलस्वा लैंडफिल साइट से उड़ती धूल

  • निर्माण और विध्वंस कार्यों से निकलने वाला मलबा

  • वाहनों से निकलने वाला धुआं

  • सड़क और फुटपाथ पर जमी धूल

  • खुले में जलता कूड़ा

  • औद्योगिक उत्सर्जन

एंटी स्मॉग गन के जरिए प्रदूषण कम करने का अभियान
दिल्ली सरकार ने प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए 200 ट्रक-माउंटेड एंटी स्मॉग गन तैनात करने का निर्णय लिया है। पीडब्ल्यूडी ने इसके लिए 59 करोड़ रुपये की मंजूरी दी। ये गन फरवरी तक रोजाना 8-8 घंटे की दो शिफ्ट में काम करेंगी और प्रदूषण वाले क्षेत्रों में तैनात होंगी। गनों पर पर्यावरण जागरूकता संदेश भी दिखाए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार, निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण के उपायों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। राजधानी में वायु प्रदूषण पर निगरानी और नियंत्रण के प्रयास जारी हैं।