नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में सोमवार को हवा की रफ्तार थोड़ी बढ़ने से प्रदूषण के स्तर में मामूली सुधार देखा गया, लेकिन वायु गुणवत्ता अब भी ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी हुई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, सोमवार को दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 309 दर्ज किया गया, जो रविवार की तुलना में 57 अंक कम है।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में हालांकि हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं। गाजियाबाद में एक्यूआई 340 दर्ज किया गया, जो क्षेत्र में सबसे प्रदूषित रहा। नोएडा (312), ग्रेटर नोएडा (300) और गुरुग्राम (235) में भी हवा की गुणवत्ता खराब से बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई। वहीं फरीदाबाद में 198 एक्यूआई रिकॉर्ड किया गया, जो अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है।
सुबह के समय हल्की धुंध और स्मॉग की चादर छाई रही, जिससे दृश्यता कम हो गई और लोगों को सांस लेने में दिक्कत महसूस हुई।
सीपीसीबी के अनुसार, हवा में पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों की मात्रा क्रमशः 153.7 और 273.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई। कई इलाकों — विवेक विहार (402), आरके पुरम (401), आनंद विहार (362), वजीरपुर (380) और रोहिणी (396) — में एक्यूआई 350 से अधिक दर्ज किया गया, जो गंभीर स्थिति को दर्शाता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर-पश्चिम दिशा से हवा की गति रविवार शाम को आठ किमी प्रति घंटे से कम हो गई थी, जिससे प्रदूषक तत्वों का फैलाव धीमा पड़ गया। आने वाले दिनों में हवा और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है।
प्रदूषण के बढ़ने की मुख्य वजहें
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कूड़े के पहाड़: गाजीपुर, भलस्वा और ओखला लैंडफिल साइटों से उड़ने वाली धूल प्रदूषण में बड़ा योगदान दे रही है।
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निर्माण कार्य की धूल: कई जगह अनियंत्रित निर्माण कार्यों में धूल प्रबंधन नियमों की अनदेखी हो रही है।
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वाहनों का उत्सर्जन: राजधानी की सड़कों पर रोज़ाना एक करोड़ से अधिक वाहन निकलते हैं, जिनसे निकलने वाला धुआं और टायरों की घिसाई प्रदूषण का मुख्य कारण है।
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सड़कों की धूल: कच्चे फुटपाथ और अधूरी सफाई के कारण धूल का स्तर लगातार बढ़ा हुआ है।
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निर्माण व विध्वंस मलबा: सीएंडडी वेस्ट प्लांट की क्षमता सीमित होने से मलबा सड़कों पर जमा रहता है।
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खुले में कूड़ा जलाना: जगह-जगह कूड़ा जलाने की घटनाएं अभी भी जारी हैं, जिससे हवा और अधिक जहरीली हो रही है।
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औद्योगिक प्रदूषण: दिल्ली और आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों से निकलने वाला धुआं भी वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है।
 
स्वास्थ्य पर असर
विशेषज्ञों ने चेताया है कि प्रदूषित हवा बच्चों, बुजुर्गों और हृदय व श्वसन रोगियों के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। आंखों में जलन, खांसी, और सांस लेने में कठिनाई जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ सकती हैं।
संभावना ‘गंभीर’ श्रेणी में जाने की
सीपीसीबी का अनुमान है कि हवा की मौजूदा स्थिति प्रदूषक तत्वों के फैलाव के लिए अनुकूल नहीं है। यदि हवा की गति और कम हुई तो एक्यूआई ‘गंभीर’ स्तर को छू सकता है। पिछली बार दिल्ली में ऐसी स्थिति 23 दिसंबर 2024 को दर्ज हुई थी, जब एक्यूआई 406 था।