दिल्ली में भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और गगनयान मिशन के अन्य चालक दल के सदस्यों के लिए एक विशेष सम्मान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहे। उन्होंने गगनयात्रियों की सराहना करते हुए कहा कि पूरे देश को इन पर गर्व है और देशवासियों के लिए यह गौरव का क्षण है।
देशवासियों को गगनयात्रियों पर गर्व
रक्षा मंत्री ने कहा, “प्रशिक्षण के दौरान आप सभी की मेहनत न केवल प्रभावशाली, बल्कि उत्कृष्ट रही। भारत माता के सपूत ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला और उनके सहयोगियों का स्वागत और अभिनंदन करते हुए मुझे गर्व महसूस हो रहा है। आप सभी ने देशवासियों को गौरवान्वित किया है।”
सुब्रतो पार्क में आयोजित कार्यक्रम में राजनाथ सिंह ने बताया कि गगनयान मिशन आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक नया अध्याय है। फरवरी 2024 में तिरुवनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार शुभांशु शुक्ला समेत अन्य गगनयात्रियों के नामों का खुलासा किया था। गगनयान मिशन का उद्देश्य 2027 में तीन सदस्यीय चालक दल को 400 किलोमीटर ऊंचाई पर पृथ्वी की कक्षा में भेजना है।
‘चंद्रमा से मंगल तक भारत की उपस्थिति’
रक्षा मंत्री ने कहा, “हमारा योगदान केवल उपग्रह भेजने तक सीमित नहीं है। आज भारत चंद्रमा और मंगल तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। गगनयान जैसे मिशन के लिए भी देश पूरी तरह तैयार है। इसे केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत के नए अध्याय के रूप में देखना चाहिए।”
अंतरिक्ष केवल अनुसंधान का क्षेत्र नहीं
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल प्रयोगशालाओं और प्रक्षेपण यानों तक ही सीमित नहीं है। यह राष्ट्रीय आकांक्षाओं और वैश्विक दृष्टि का प्रतीक है। अंतरिक्ष में भविष्य के संसाधनों, ऊर्जा और मानवता के लिए अवसरों की दिशा बदलने की क्षमता है।
शुभांशु शुक्ला का व्यक्तिगत पक्ष
रक्षा मंत्री ने शुभांशु शुक्ला के बारे में बताया कि वे बजरंग बली के भक्त हैं और अंतरिक्ष में उन्होंने कई बार हनुमान चालीसा का पाठ किया। उन्होंने अंतरिक्ष में कृषि का भी अनुभव किया, जैसे मेथी और मूंग की खेती, जो आगामी मिशनों के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगा।
मानवता और विज्ञान का संगम
राजनाथ सिंह ने कहा, “आज हम ऐसे युग में हैं जहां अंतरिक्ष केवल तकनीकी या सैन्य शक्ति का प्रतीक नहीं रह गया। यह मानव सभ्यता के लिए एक नया मील का पत्थर है। भारत ने हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है, और हमारे वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री उस संदेश को नई ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं।”
इस कार्यक्रम ने गगनयान मिशन के महत्व और भारतीय अंतरिक्ष प्रयासों की वैश्विक पहचान को उजागर किया।