नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने की दिशा में दिल्ली सरकार मंगलवार को कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) का पहला ट्रायल कर सकती है। यह प्रयोग मौसम की अनुकूलता पर निर्भर करेगा। सरकार ने इस ट्रायल के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर की विशेषज्ञ टीम को जिम्मेदारी सौंपी है, जो फिलहाल तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि सेना का विमान मंगलवार को कानपुर से दिल्ली पहुंचेगा। “यदि मौसम सहयोग करता है, तो कृत्रिम वर्षा का परीक्षण किया जाएगा। फिलहाल सभी तैयारियां पूरी हैं, निर्णय मौसम की स्थिति देखकर लिया जाएगा,” उन्होंने कहा।
इससे पहले सोमवार को परीक्षण करने की योजना थी, लेकिन कानपुर में वर्षा और दृश्यता कम होने के कारण विमान दिल्ली नहीं पहुंच सका। मंगलवार को इस परियोजना की व्यवहार्यता पर चर्चा के लिए समीक्षा बैठक भी प्रस्तावित है।
दिल्ली की हवा साफ करने का प्रयास
कृत्रिम वर्षा दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण स्तर को कम करने की सरकार की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। सर्दियों के महीनों में वायु गुणवत्ता लगातार खराब होती जा रही है, ऐसे में यह तकनीक प्रदूषण को नियंत्रित करने की एक संभावित पहल मानी जा रही है।
क्लाउड सीडिंग तकनीक से होगा प्रयोग
IIT कानपुर की टीम इस ट्रायल के तहत क्लाउड सीडिंग तकनीक का इस्तेमाल करेगी। इसके तहत विमान से सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड के यौगिक बादलों में छोड़े जाएंगे ताकि बारिश उत्पन्न की जा सके। हालांकि, इस प्रक्रिया के लिए वातावरण में कम से कम 50 प्रतिशत नमी की आवश्यकता होती है, जबकि हालिया परीक्षणों में नमी 20 प्रतिशत से भी कम थी, जिससे वर्षा नहीं हो पाई थी।
अनुकूल मौसम की प्रतीक्षा
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, 28 से 30 अक्टूबर के बीच दिल्ली में उपयुक्त बादल बनने की संभावना है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी संकेत दिया है कि यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं, तो 29 अक्टूबर को राजधानी में पहली कृत्रिम बारिश संभव है।
गौरतलब है कि यह प्रोजेक्ट कई बार मौसम की प्रतिकूलता के कारण टल चुका है। पहले इसे मई, जून, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में करने की योजना बनी थी, लेकिन अनुकूल हालात न होने के कारण हर बार परीक्षण स्थगित करना पड़ा।
कृत्रिम वर्षा के सफल होने पर दिल्ली सरकार इसे प्रदूषण नियंत्रण की एक स्थायी रणनीति के रूप में अपनाने की दिशा में आगे बढ़ सकती है।