दिल्ली में पुलिस थानों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये गवाही दर्ज करने की अनुमति देने संबंधी उपराज्यपाल के आदेश के खिलाफ वकीलों का न्यायिक बहिष्कार लगातार छठे दिन भी जारी रहा। इस दौरान राजधानी की सड़कों से लेकर अदालत परिसरों तक वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया।
बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में वकीलों ने उपराज्यपाल का पुतला दहन किया और जोरदार नारेबाजी की। निचली अदालतों के वकीलों को दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का भी समर्थन मिला। एसोसिएशन ने कामकाज के दौरान वकीलों से काली पट्टी बांधने की अपील की। वहीं, कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में फैसला लिया गया कि हड़ताल गुरुवार और शुक्रवार को भी जारी रहेगी।
नई दिल्ली बार एसोसिएशन के सचिव तरुण राणा ने जानकारी दी कि शुक्रवार दोपहर 12 बजे सभी बार एसोसिएशन के वकील उपराज्यपाल भवन के बाहर प्रदर्शन करेंगे। बुधवार को तीस हजारी, रोहिणी, कड़कड़डूमा, द्वारका, साकेत, राउज एवेन्यू और पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई पूरी तरह ठप रही। जमानत, गवाही और जिरह जैसे अहम मामलों को स्थगित करना पड़ा। अदालत पहुंचे फरियादी और उनके परिजन वकीलों की अनुपस्थिति के कारण निराश होकर लौटे।
पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर वकीलों ने सड़क पर प्रदर्शन किया, जबकि कड़कड़डूमा कोर्ट के वकीलों ने कृष्णा नगर रेड लाइट पर जाम लगाया। लगभग सभी निचली अदालतों में वकीलों ने पुलिस, सरकारी वकील, ईडी और सीबीआई अधिकारियों को प्रवेश नहीं करने दिया।
कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिवक्ता प्रदीप चौहान ने कहा कि यह अधिसूचना जनता और न्यायिक स्वतंत्रता दोनों के खिलाफ है। उन्होंने बताया कि यह आदेश गृह मंत्रालय के 15 जुलाई 2024 के सर्कुलर का भी उल्लंघन करता है। पुलिस थानों को गवाही दर्ज करने का केंद्र घोषित करने से जांच एजेंसियों को अतिरिक्त अधिकार मिलेंगे और निष्पक्ष जिरह संभव नहीं हो पाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आंदोलन जनता के हितों की रक्षा के लिए है।
दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना द्वारा जारी अधिसूचना में पुलिस थानों को गवाही दर्ज करने के लिए नामित स्थान घोषित किया गया है, जिसका राजधानी के वकील लगातार विरोध कर रहे हैं।