नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली में शराब की खपत बढ़ने से सरकार की आमदनी में भी उल्लेखनीय इज़ाफा हुआ है। आबकारी विभाग के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही (अप्रैल से सितंबर) में शराब से होने वाला कुल आबकारी राजस्व 12 प्रतिशत से अधिक बढ़ा है।

विभाग द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल-सितंबर 2023-24 के दौरान जहां VAT सहित कुल राजस्व ₹3,731.79 करोड़ था, वहीं चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में यह बढ़कर ₹4,192.86 करोड़ पहुंच गया। अधिकारियों का कहना है कि यह वृद्धि त्योहारी सीजन शुरू होने से पहले दर्ज की गई है, जिससे आने वाले महीनों में और वृद्धि की उम्मीद है।

त्योहारी सीजन से बढ़ेगी आमदनी
आबकारी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि VAT के आंकड़े केवल 16 सितंबर तक के हैं। उनका अनुमान है कि इस साल की पहली छमाही में ही सरकार ने ₹6,000 करोड़ के वार्षिक लक्ष्य का आधा हिस्सा पार कर लिया है। दिवाली और नए साल के अवसर पर बिक्री में और तेजी आने की संभावना है, जिससे लक्ष्य को आसानी से पार किया जा सकता है।

राजस्व में उछाल के पीछे क्या कारण हैं
आंकड़ों के अनुसार, VAT को छोड़कर अप्रैल-सितंबर 2023-24 में विभाग को ₹2,598.04 करोड़ की प्राप्ति हुई थी, जो अब बढ़कर ₹3,043.39 करोड़ हो गई है - यानी 17% की बढ़ोतरी। वहीं मासिक औसत राजस्व ₹279.81 करोड़ से बढ़कर ₹517.26 करोड़ तक पहुंच गया।

अधिकारियों ने बताया कि विभाग ने सरकारी निगमों द्वारा संचालित दुकानों को निर्देश दिए हैं कि वे त्योहारी मांग को देखते हुए स्टॉक की पर्याप्त व्यवस्था पहले से सुनिश्चित करें। वर्तमान में दिल्ली में 700 से अधिक सरकारी शराब की दुकानें चार निगमों द्वारा संचालित की जा रही हैं।

नई आबकारी नीति पर काम जारी
सरकार ने लोक निर्माण मंत्री परवेश साहिब सिंह वर्मा की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है, जो नई आबकारी नीति तैयार कर रही है। बताया जा रहा है कि इस नीति का उद्देश्य राजस्व बढ़ाने के साथ-साथ इसे पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी बनाना है।

कौन-कौन से मुद्दे चर्चा में हैं
सूत्रों के मुताबिक, समिति की हालिया बैठकों में कई बिंदुओं पर चर्चा हुई है- जैसे शराब की कीमतों में स्थिरता, कानूनी पीने की उम्र, और खुदरा कारोबार में निजी क्षेत्र की भूमिका।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली में 2014 से आबकारी कर दर में कोई संशोधन नहीं हुआ है, जबकि एमआरपी को आखिरी बार तीन साल पहले बदला गया था।

मूल्य निर्धारण पर विचार
सूत्रों ने बताया कि दिल्ली में हर बोतल पर निश्चित मार्जिन रखने से सस्ती और कम लोकप्रिय ब्रांडों को बढ़ावा मिलता है, जबकि महंगी और लोकप्रिय शराब की कमी देखने को मिलती है। नई नीति में इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए मूल्य निर्धारण की प्रणाली को फिर से परिभाषित करने पर विचार चल रहा है।