दिल्ली में दिवाली की खुशियों के बीच पटाखों और दीयों से जुड़े हादसों ने लोगों की जान-माल को गंभीर रूप से प्रभावित किया। 19 और 20 अक्तूबर को दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में 324 से अधिक मरीज झुलसी हालत में उपचार के लिए पहुंचे, जिनमें से 61 को अस्पताल में भर्ती किया गया है। कई मामलों में चोट गंभीर होने के कारण सर्जरी भी करनी पड़ी।

सफदरजंग अस्पताल के बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक दिवाली वाले दिन 113 लोग उपचार के लिए लाए गए। इसमें पांच मरीज भर्ती हुए और आठ की सर्जरी की गई। लोकनायक अस्पताल में 15 लोग, जिनमें अधिकतर बच्चे शामिल थे, पटाखों से जलने के बाद इलाज के लिए पहुंचे। वहीं डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 11 मरीज भर्ती हुए, जिनमें छह की सर्जरी की गई।

तीव्रता के मामले:

  • दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में 54 मरीज आए, जिनमें कुछ का शरीर का 30% हिस्सा जल चुका था।

  • जीटीबी अस्पताल में 37 मरीजों का इलाज हुआ। इनमें दो महिलाएं दीये के कारण झुलसी थीं, जिनमें एक 50 वर्षीय महिला के 40-45% और एक 32 वर्षीय महिला के 25-30% हिस्से में जलन थी। इसके अलावा एक व्यक्ति कूकर ब्लास्ट से झुलसा, और यूपी के लोनी से आए एक मरीज की मौत हो गई।

एम्स में स्थिति:
एम्स के प्लास्टिक, रिकंस्ट्रक्टिव और बर्न सर्जरी विभाग में 19 से 21 अक्तूबर तक 60 लोग उपचार के लिए पहुंचे। दिवाली की रात 33 मरीज लाए गए। उम्र के हिसाब से मरीजों का वितरण इस प्रकार था: 10 साल से कम उम्र में एक चार महीने का बच्चा, 10-20 वर्ष में 23, 20-40 वर्ष में 27 और 40-60 वर्ष में सात मरीज। 29 मरीजों को भर्ती किया गया, जिनमें 10 आईसीयू में और 19 वार्ड में थे। तीन मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है।

आघात के स्रोत:

  • पटाखों से झुलसी स्थिति – 48 मामले

  • पोटाश ब्लास्ट – 7 मामले

  • दीयों से – 4 मामले

  • दिवाली की लाइट – 1 मामला

एम्स में गंभीर मामलों में 10 सर्जरी और माइनर सर्जरी 13 की गई। कुछ मामलों में जान और अंगों के खोने का खतरा बना हुआ है।