नई दिल्ली: संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो गया। कार्यवाही शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष को संदेश दिया कि पराजय की निराशा से बाहर आएं और नारे लगाने के बजाय नीति और विकास पर ध्यान केंद्रित करें।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने लोकतंत्र को जिया है और समय-समय पर इसकी ताकत और उत्साह को दिखाया है। उन्होंने बिहार में मतदान में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी का उदाहरण देते हुए कहा कि यह लोकतंत्र की मजबूती को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत ने सिद्ध कर दिया है कि लोकतंत्र से देश को विकास और प्रगति मिल सकती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “देश की अर्थव्यवस्था नई ताकत देकर भारत को विकसित राष्ट्र की ओर ले जा रही है। संसद के इस सत्र को इसी पर केंद्रित होना चाहिए कि देश के लिए क्या सोचा जा रहा है और क्या किया जाएगा।” उन्होंने नए सांसदों को भी अवसर देने की जरूरत पर जोर दिया ताकि वे अपने क्षेत्रों की समस्याओं को उठाकर राष्ट्र को लाभ पहुंचा सकें।
विपक्ष को पीएम का संदेश
प्रधानमंत्री ने कहा कि विपक्ष को अपने मुद्दे उठाने चाहिए, लेकिन पराजय की बौखलाहट को संसद का मंच नहीं बनाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि विजय के अहंकार में भी किसी को न पड़ना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में ड्रामा की जगह नीति और डिलीवरी को महत्व देना चाहिए।
सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा, जिसमें लोकसभा ने चर्चा के लिए कुल 10 घंटे आवंटित किए हैं।
SIR पर हो सकता है हंगामा
वहीं, विपक्ष SIR मुद्दे पर चर्चा चाहता है। विपक्षी दल चाहते हैं कि सोमवार दोपहर 2 बजे एसआईआर पर चर्चा शुरू हो, लेकिन सरकार ने इस पर सहमति नहीं दी है। विपक्षी दलों ने चेतावनी दी है कि किसी भी व्यवधान की जिम्मेदारी सरकार की होगी।
केंद्रीय गृह मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि सर्वदलीय बैठक में आए सुझावों पर विचार कर बीएसी (कार्य मंत्रणा समिति) में रखा जाएगा। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करें। रिजिजू ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र में मतभेद होते हैं, लेकिन गतिरोध नहीं होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी विपक्षी दल एसआईआर मुद्दा उठाकर कार्यवाही बाधित करना नहीं चाहते।