दिवाली के बाद प्रदूषण से जूझ रही राजधानी दिल्ली को बृहस्पतिवार को चली तेज हवाओं ने थोड़ी राहत जरूर दी, लेकिन यह राहत अस्थायी साबित हो सकती है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) शाम 4 बजे 305 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। ग्रेटर नोएडा का AQI 280, गाजियाबाद 252, नोएडा 276 और गुरुग्राम 208 रहा। वहीं फरीदाबाद की हवा अपेक्षाकृत बेहतर रही, जहां एक्यूआई 198 दर्ज किया गया।
अभी नहीं मिलेगी प्रदूषण से पूरी राहत
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक हवा की गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में बनी रह सकती है। इससे सांस और आंखों की समस्या वाले मरीजों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है। गुरुवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 10–15 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चली, जिससे हवा में मौजूद कुछ प्रदूषक कण जरूर बिखरे, लेकिन उनका स्तर सामान्य से तीन गुना ज्यादा बना रहा।
दिल्ली में पीएम 10 का स्तर 249 और पीएम 2.5 का स्तर 150.9 दर्ज किया गया। हवा में धूल और धुएं के मिश्रण से धुंध की मोटी परत छाई रही। पालम इलाके में सुबह दृश्यता घटकर 800 मीटर तक पहुंच गई।
त्योहार के बाद बढ़ा प्रदूषण का स्तर
पिछले नौ दिनों में राजधानी की हवा तेजी से खराब हुई है। 13 अक्टूबर को जहां AQI 189 (मध्यम श्रेणी) था, वहीं दिवाली के बाद आतिशबाजी और धीमी हवाओं के कारण यह 300 से ऊपर पहुंच गया। सीपीसीबी का कहना है कि धीमी हवा के कारण प्रदूषक तत्व वातावरण में बने हुए हैं और उनका निस्तारण धीमा हो गया है।
प्रदूषण नियंत्रण के लिए 2000 टीमें सक्रिय
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण के लिए 2000 से अधिक टीमें लगातार काम कर रही हैं। 376 एंटी-स्मॉग गन, 266 वाटर स्प्रिंकलर और 91 मैकेनाइज्ड स्वीपर सड़कों पर तैनात हैं। इसके अलावा 443 टीमें कूड़ा जलाने, 578 टीमें वाहन प्रदूषण और 378 टीमें धूल नियंत्रण पर निगरानी रख रही हैं।
सिरसा ने कहा कि जल्द ही IIT कानपुर और मौसम विभाग की मदद से क्लाउड सीडिंग तकनीक का भी प्रयोग किया जाएगा। साथ ही, सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए कदम उठा रही है ताकि भविष्य में प्रदूषण स्तर को कम किया जा सके।
पराली जलाने की घटनाओं में आई कमी
राजधानी की हवा को प्रभावित करने में पराली जलाने की भी भूमिका रही है, हालांकि इस बार इसकी घटनाओं में 50% की कमी आई है। सीपीसीबी के अनुसार, गुरुवार तक 12,113 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं और प्रदूषण में इसकी हिस्सेदारी 1.5% रही। आईसीएआर की रिपोर्ट बताती है कि इस बार पंजाब से ज्यादा पराली जलाने के मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए हैं।
डॉक्टरों की चेतावनी — बिना जरूरत घर से बाहर न निकलें
दिल्ली की जहरीली हवा ने लोगों की सेहत पर असर डालना शुरू कर दिया है। कई अस्पतालों में आंखों में जलन, गले में खराश, सांस और सीने में दर्द की शिकायतें बढ़ी हैं। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि लोग डबल मास्क पहनें, घर से कम निकलें और बच्चों व बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।
आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रमेश मीणा ने कहा, “दिल्ली की हवा बेहद खतरनाक स्तर पर है। लोगों को अनावश्यक रूप से बाहर नहीं निकलना चाहिए और घर के अंदर वायु शुद्ध करने के उपाय अपनाने चाहिए।”
सुरक्षा के उपाय
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बाहर निकलते समय N-95 मास्क का उपयोग करें
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सुबह और शाम के समय बाहरी गतिविधियों से बचें
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AQI अपडेट नियमित रूप से देखें
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सांस या आंखों में दिक्कत होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें
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घरों में पौधे लगाकर प्राकृतिक रूप से वायु शुद्धिकरण बढ़ाएं
दिल्ली में फिलहाल राहत के आसार कम हैं। मौसम विभाग का कहना है कि 27 अक्टूबर से नया पश्चिमी विक्षोभ असर दिखा सकता है, लेकिन तब तक राजधानी की हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी रह सकती है।