सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में दिवाली पर ग्रीन पटाखों के उपयोग पर लगी रोक हटाने की याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है। मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और अदालत आगे निर्णय करेगी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि इस मामले में संतुलित रवैया अपनाया जाए। उन्होंने बताया कि एनसीआर के राज्यों ने दिवाली के दौरान ग्रीन पटाखों के सीमित उपयोग की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
राज्यों ने सुझाव दिया कि केवल NEERI से प्रमाणित ग्रीन पटाखों की बिक्री और उपयोग की अनुमति दी जाए, और इसका समय सख्ती से तय किया जाए—सिर्फ शाम 8 बजे से 10 बजे तक। इसके अलावा, पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के जरिए ही हो और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा ऑनलाइन बिक्री पर रोक हो।
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि पटाखों की वजह से ही प्रदूषण नहीं होता, लेकिन लोगों को त्योहार मनाने का अधिकार भी होना चाहिए। उन्होंने क्रिसमस, नए साल की पूर्व संध्या और गुरुपर्व के लिए भी समय-विशिष्ट अनुमति देने का सुझाव दिया, ताकि उत्सव और पर्यावरण संरक्षण दोनों संतुलित रहे।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कहा कि हवा में प्रदूषण सिर्फ पटाखों से नहीं बल्कि पराली जलाने और वाहनों से भी होता है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रीन पटाखों का निर्माण बड़े निवेश के साथ पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को प्रमाणित निर्माताओं को यह अनुमति दी थी कि वे ग्रीन पटाखे बना सकते हैं, लेकिन उन्हें बिना अनुमति दिल्ली-एनसीआर में नहीं बेच सकते। दिल्ली-एनसीआर में दिल्ली और उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान के कुल 16 जिले शामिल हैं।
अदालत अब इस मामले में अंतिम निर्णय लेगी और पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जनता के त्योहार मनाने के अधिकार का संतुलन बनाएगी।