दिल्ली में ट्रैफिक चालानों पर मिलेगी बड़ी राहत, आ सकती है वन-टाइम एमनेस्टी स्कीम

दिल्ली सरकार एक वन-टाइम एमनेस्टी स्कीम लाने की तैयारी कर रही है, जिसके तहत पुराने लंबित ट्रैफिक चालानों पर 50 से 70 प्रतिशत तक की छूट दी जा सकती है। यह योजना लागू होने पर लाखों वाहन चालकों को बड़ी राहत मिलने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्कीम अगले कुछ महीनों में शुरू हो सकती है।

पुराने चालान निपटाने का अवसर

इस योजना का उद्देश्य है पुराने बकाया चालानों का निपटारा करना और अदालतों पर बढ़ते मामलों का बोझ कम करना। अधिकारियों के अनुसार, चालान चुकाने के लिए लोगों को लगभग 2 से 3 महीने का समय दिया जा सकता है।

ट्रांसपोर्ट विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि यह अवसर दो-पहिया, तीन-पहिया और चार-पहिया मालिकों के लिए होगा। उन्होंने कहा, “लोगों को इस मौके का लाभ उठाना चाहिए, क्योंकि आगे चलकर चालान न भरने पर वाहन का रजिस्ट्रेशन रद्द करने जैसे कड़े कदम उठाए जा सकते हैं।”

किन चालानों पर मिलेगी छूट

यह योजना ट्रैफिक पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग दोनों के चालानों पर लागू होगी।

  • ट्रांसपोर्ट विभाग आमतौर पर प्रदूषण जांच प्रमाणपत्र (PUCC) खत्म होने, गलत दिशा में गाड़ी चलाने और ओवरलोडिंग पर चालान करता है।
  • ट्रैफिक पुलिस हेलमेट न पहनने, रेड लाइट पार करने और तेज रफ्तार जैसी गलतियों पर चालान करती है।

हालांकि, छूट केवल गैर-गंभीर उल्लंघनों पर ही दी जाएगी। शराब पीकर गाड़ी चलाने, बिना लाइसेंस वाहन चलाने और अन्य गंभीर मामलों पर यह योजना लागू नहीं होगी।

चालान समय पर क्यों नहीं भरते लोग

आज अधिकांश ई-चालान फोटो सबूत के साथ जारी होते हैं और ऑनलाइन भुगतान भी संभव है, फिर भी कई लोग चालान नहीं भरते और लोक अदालत का इंतजार करते हैं, जहां अक्सर राशि कम हो जाती है। इसके अलावा, चालान देर से भरने पर ब्याज या अतिरिक्त पेनल्टी न लगने की वजह से भी लोग लापरवाही करते हैं। साथ ही, खराब ट्रैफिक सिग्नल, अस्पष्ट संकेत बोर्ड और जटिल सड़क ढांचे भी विवाद का कारण बनते हैं।

आगे और सख्ती की तैयारी

फिलहाल छोटे चालान मौके पर निपटाए जाते हैं, लेकिन गंभीर मामले अदालतों तक जाते हैं, जिससे केसों का बोझ बढ़ता है। अधिकारियों का कहना है कि केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के नियमों के तहत, ट्रांसपोर्ट विभाग उन वाहनों को “नो ट्रांजैक्शन” श्रेणी में डाल सकता है जिनके चालान लंबे समय से लंबित हैं। ऐसे वाहनों के मालिक अपने रजिस्ट्रेशन, नवीनीकरण और अन्य ऑनलाइन काम भी नहीं कर पाएंगे।

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