जामिया नगर स्थित अल-फलाह ट्रस्ट के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी की ईडी हिरासत के बाद पुराने घोटाले भी उजागर होने लगे हैं। इनमें मदनपुर खादर के खसरा नंबर 792 से जुड़ा एक मामला सामने आया है। करीब इक्कीस साल पहले यह जमीन तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम पर दर्ज कराई गई थी, जिसके निदेशक जवाद और उनका भाई सुफियान अहमद सिद्दीकी हैं।
सूत्रों के अनुसार, ईडी जांच में पता चला कि जमीन पहले जवाद के करीबी विनोद कुमार के नाम ट्रांसफर की गई और बाद में फाउंडेशन को बेची गई। जांच में यह भी सामने आया कि कई जमीन मालिक 1972 और 1998 के बीच ही मृत हो चुके थे।
इसके बावजूद 2004 में जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (जीपीए) में मृत लोगों के हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान दर्ज किए गए। सात जनवरी 2004 को खसरा नंबर 792 की जमीन पर जीपीए बनाई गई और इसे विनोद कुमार पुत्र भूले राम के नाम दर्ज किया गया।
इस जीपीए में सभी मृत मालिकों के नाम, हस्ताक्षर और अंगूठे के निशान शामिल थे। इसके बाद 27 जून 2013 को विनोद कुमार ने 75 लाख रुपये में यह जमीन तरबिया एजुकेशन फाउंडेशन को बेच दी, जबकि 21 दिसंबर 2012 को जवाद के नाम पर फाउंडेशन का रजिस्ट्रेशन हो चुका था।
इस फर्जीवाड़े के खिलाफ पीड़ित भगत सिंह ने जवाद अहमद सिद्दीकी, ओम चौहान, विनोद कुमार, नरेंद्र कुमार और सैयद सहाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।