फरीदाबाद। दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट की जांच अब फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी के संस्थापक और ट्रस्टी जावेद अहमद सिद्दीकी तक पहुंच गई है। जांच एजेंसियों ने पुष्टि की है कि विश्वविद्यालय में काम करने वाले दो प्रमुख आरोपी, डॉ. शाहीन सईद और डॉ. मुजम्मिल शकील, इस मामले में पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक, सिद्दीकी न केवल यूनिवर्सिटी के संस्थापक हैं बल्कि उनके नेटवर्क से जुड़ी नौ कंपनियां भी अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट के तहत संचालित होती हैं, जो विश्वविद्यालय के प्रशासन और संचालन में शामिल है।
7.5 करोड़ रुपये की पुरानी धोखाधड़ी भी जांच के घेरे में
अल-फलाह यूनिवर्सिटी पहले से ही प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में है। जांच में अब यह भी सामने आया है कि सिद्दीकी का पुराने 7.5 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का मामला नए सिरे से देखे जाने के लिए जांच एजेंसियों के दायरे में है। यह मामला दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाने में दर्ज हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सिद्दीकी और उनके सहयोगियों ने निवेशकों को पैसा लगाने के लिए लुभाया और बाद में फर्जी दस्तावेजों के जरिए रकम को शेयर निवेश में दिखाया।
सिद्दीकी को 2001 में गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने 2003 में उनकी जमानत याचिका खारिज की थी, क्योंकि फॉरेंसिक जांच में शेयर सर्टिफिकेट पर फर्जी हस्ताक्षर पाए गए थे। उन्हें बाद में 2004 में शर्तों के साथ जमानत मिली थी।
जावेद अहमद सिद्दीकी से जुड़ी कंपनियां
सिद्दीकी के नेटवर्क में शामिल कंपनियों में प्रमुख हैं:
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अल-फलाह इन्वेस्टमेंट (1992 में स्थापित)
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अल-फलाह मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन
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अल-फलाह डेवलपर्स प्रा. लि.
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अल-फलाह इंडस्ट्रियल रिसर्च फाउंडेशन
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अल-फलाह एजुकेशन सर्विस प्रा. लि.
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एमजेएच डेवलपर्स प्रा. लि.
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अल-फलाह सॉफ्टवेयर प्रा. लि.
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अल-फलाह एनर्जीज प्रा. लि.
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तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन
इनमें से अधिकांश कंपनियां जामिया नगर, दिल्ली स्थित अल-फलाह हाउस में रजिस्टर्ड थीं। 2019 तक अधिकांश कंपनियां सक्रिय थीं, उसके बाद कई को बंद या निष्क्रिय कर दिया गया।
कार ब्लास्ट की पृष्ठभूमि
लाल किले के पास धमाका अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल ऑयल से भरी सफेद हुंडई i20 कार में हुआ, जिसमें 13 लोगों की मौत हुई। कार चलाने वाला डॉ. उमर मोहम्मद पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से जुड़ा पाया गया।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, अल-फलाह यूनिवर्सिटी के लीगल एडवाइजर मोहम्मद राजी ने सभी आरोपों को “झूठ और बेबुनियाद” बताया और कहा कि उन्हें डॉ. मुजम्मिल शकील की भर्ती के बारे में कोई जानकारी नहीं है।