टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले पहलवान बजरंग पूनिया की नजरें अब 2024 के पेरिस ओलंपिक पर हैं। पंचकूला के इंद्रधनुष सभागार में हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में पहुंचे बजरंग पूनिया ने कहा कि बेशक उन्होंने कांस्य पदक जीता पर एक स्वर्ण पदक खो दिया। 

बजरंग पूनिया ने बताया कि सेमीफाइनल में हार हुई तो रात में वह सो नहीं पाए थे। बस सोचते रहे कि क्या गलती हो गई और क्या किया जा सकता था। बजरंग पूनिया ने कहा कि 2024 के पेरिस ओलंपिक के लिए वह अब जुट गए हैं। उनका प्रयास है कि वह 2024 में स्वर्ण पदक लेकर आएं। बजरंग पूनिया ने बताया कि वह ओलंपिक शुरू होने से पहले रूस में ट्रेनिंग कर रहे थे। 

अभ्यास के दौरान उनको घुटनों में चोट लग गई थी। कुछ समय तो उनको प्रशिक्षण में परेशानी हुई पर रूस में ही एडवांस्ड रिकवरी सिस्टम के माध्यम से बजरंग को चोट से उबारने का प्रयास किया गया लेकिन उस समय तक ओलंपिक शुरू हो चुके थे। ऐसी स्थिति में उनको ऐसे ही मैदान में उतरना पड़ा। 
बजरंग पूनिया ने कहा कि हरियाणा सरकार ने खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए जिस प्रकार से अपना दिल खोला है, वह वास्तव में हरियाणा में खेल को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा खिलाड़ियों के गांव में खेल आधारभूत संरचना तैयार करने की योजना शानदार है।

रजत नहीं स्वर्ण लेने तक चैन से नहीं बैठेंगे: रवि दहिया 
टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक विजेता पहलवान रवि कुमार दहिया पर इनामों की बारिश हो रही है लेकिन रवि तो अपनी ही धुन में लगे हैं। यह धुन है पेरिस ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने की। रवि का कहना है कि हरियाणा में खिलाड़ियों के लिए जो सुविधाएं दी जा रही हैं वह शानदार है। 

रवि ने इंद्रधनुष सभागार में कहा कि उन्होंने तय कर लिया है, जब तक रेसलिंग में देश को स्वर्ण पदक नहीं दिलाते तब तक चैन से नहीं बैठेंगे। रवि का कहना है कि योगेश्वर दत्त उनके काफी करीबी रहे हैं। उनसे उनको काफी सीखने को मिला है। 

रवि दहिया ने बताया कि जब वह 10 वर्ष के थे, तभी उनके पिता राजेश दहिया ने उन्हें छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग के लिए भेजा था। उनके पिता अक्सर दूध-दही, मक्खन देने के बहाने नाहरी गांव से दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम पहुंच जाते थे। पिता भी हमेशा कहते थे कि गोल्ड नहीं ले आता, चैन से नहीं बैठूंगा बेटे।