हरियाणा पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने वकील विक्रम सिंह को गिरफ्तार किया है। विक्रम ने हत्या के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगी।
विक्रम सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने तर्क दिया कि उनके क्लाइंट ने केवल एक सह-अभियुक्त का प्रतिनिधित्व किया था और पेशेवर काम करने के लिए उन्हें गिरफ्तार करना अनुचित है। उन्होंने न्यायालय से विक्रम की तत्काल रिहाई और हरियाणा की STF की कथित अवैध कार्रवाइयों की जांच की मांग की।
बता दें कि इस गिरफ्तारी के विरोध में वकीलों के संघ ने 6 नवंबर को दिल्ली की जिला अदालतों में काम का बहिष्कार भी किया था। विक्रम सिंह वर्तमान में फरीदाबाद जेल में बंद हैं। उन्होंने हरियाणा और दिल्ली सरकारों के साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भी इस मुकदमे में पक्षकार बनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने धर्मांतरण रोधी कानूनों पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों में लागू धर्मांतरण रोधी कानूनों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस विनोद चंद्रन और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ ने कहा कि इन याचिकाओं को दिसंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 सितंबर को राज्यों को नोटिस जारी कर उनके जवाब मांगे थे और याचिकाकर्ताओं को अपने उत्तर दाखिल करने के लिए समय दिया गया था। अब यह मामला छह सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
पीठ दिसंबर में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक द्वारा बनाए गए धर्मांतरण रोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता पर सुनवाई करेगी।