यमुनानगर। बाड़ी माजरा में पश्चिमी यमुना नहर पर करीब सौ साल पहले बना पुराना पुल मंगलवार शाम अचानक ढह गया। गनीमत रही कि हादसे के वक्त पुल पर कोई वाहन या व्यक्ति मौजूद नहीं था, वरना बड़ा नुकसान हो सकता था।

जानकारी के अनुसार, यह पुल सिंचाई विभाग द्वारा पहले ही कंडम घोषित किया जा चुका था, लेकिन स्थानीय लोगों की आवाजाही लगातार जारी थी। सोमवार शाम और मंगलवार सुबह छठ पर्व के मौके पर हजारों श्रद्धालु इसी पुल से होकर गुजरे थे। मेयर सुमन बहमनी, मंडल अध्यक्ष शुभम राणा सहित कई अधिकारी भी हाल ही में इस पुल से निकले थे।

स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग ने मंगलवार दोपहर को पुल के दोनों सिरों पर मिट्टी डालकर रास्ता तो रोका, लेकिन कोई चेतावनी बोर्ड या सुरक्षा व्यवस्था पहले से नहीं की गई थी।

तीव्र धमाके के साथ टूटा पुल
प्रत्यक्षदर्शी तीर्थनगर निवासी गोताखोर राजीव ने बताया कि शाम करीब सवा चार बजे अचानक जोरदार आवाज हुई और पुल के बीच का हिस्सा नहर में धंस गया। उन्होंने बताया, “एक दिन पहले मैंने पुल की स्लैब में दरार देखी थी और इसकी सूचना पुलिस को दी थी। सुबह पुलिस ने बल्लियां लगाकर रास्ता रोका भी था, मगर लोगों ने रोकने की बात नहीं मानी।”

विभाग की लापरवाही पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुल की जर्जर स्थिति से विभाग पूरी तरह वाकिफ था, फिर भी न तो पुल को बंद किया गया और न ही मरम्मत की गई। पास में बने दूसरे पुल से भी लगातार यातायात जारी रहता है, जिससे खतरा बना हुआ है।

अधिकारियों का पक्ष
सिंचाई विभाग के एसई आर.एस. मित्तल ने बताया कि पुल को काफी पहले कंडम घोषित किया गया था और मंगलवार सुबह मिट्टी डालकर दोनों ओर से रास्ता बंद किया गया था। उन्होंने कहा, “हम इस पुल को तोड़ने की तैयारी में थे। नया पुल पहले से ही बनकर तैयार है और उसी से यातायात शुरू किया जा चुका है।”

यह पुल करीब एक सदी पहले बनाया गया था और आसपास के गांवों—बाड़ी माजरा, तीर्थ नगर, पांसरा और ताजकपुर—को जोड़ता था। सहारनपुर की ओर से आने-जाने वाले लोग भी अक्सर इसी रास्ते का इस्तेमाल करते थे।