कुरुक्षेत्र। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार शाम कुरुक्षेत्र पहुंचे, जहां उन्होंने 350वें शहीदी समागम और अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में हिस्सा लिया। हेलिकॉप्टर से पिहोवा रोड पर तैयार किए गए लगभग 170 एकड़ के विशाल समागम स्थल पर पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री ने भगवान श्रीकृष्ण के पवित्र शंख के प्रतीक रूप में निर्मित पंचजन्य का उद्घाटन किया। लगभग पांच मीटर ऊंचा और करीब पांच टन वजनी यह शंख धर्म और सत्य की विजय का प्रतीक बताया जा रहा है।

इसके बाद प्रधानमंत्री ने महाभारत अनुभव केंद्र का अवलोकन किया। यह केंद्र आधुनिक तकनीक से तैयार किया गया है, जिसमें महाभारत के प्रमुख प्रसंगों को इमर्सिव इंस्टॉलेशन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है, ताकि लोग इस महाकाव्य की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्ता को गहराई से अनुभव कर सकें।

गुरु तेग बहादुर को नमन

समागम के दौरान प्रधानमंत्री ने गुरु तेग बहादुर जी के 350वें शहीदी दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मंच से गुरबाणी की स्वर लहरियों के बीच प्रधानमंत्री ने गुरु महाराज के चरणों मेें नमन किया। हज़ारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में रागियों ने गुरु तेग बहादुर जी के त्याग और बलिदान पर आधारित शबद-कीर्तन प्रस्तुत किया। मोदी ने गुरु तेग बहादुर जी की वीरता और बलिदान को समर्पित प्रदर्शनी का भी निरीक्षण किया।

गुरु परंपरा के पवित्र स्थलों को पहचान दिलाना हमारा सौभाग्य

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हरियाणा गुरुओं और संतों की पावन भूमि है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को गुरु परंपराओं से जुड़े पवित्र स्थलों को वैश्विक पहचान दिलाने का अवसर मिला है—चाहे करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण हो, हेमकुंड साहिब तक रोपवे का काम हो, या सुल्तानपुर लोधी और पटना साहिब का विकास।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुरु परंपरा के प्रति उनका अपना भावनात्मक जुड़ाव भी गहरा है। उन्होंने याद दिलाया कि अफगानिस्तान संकट के दौरान श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के स्वरूपों को सम्मानपूर्वक भारत लाने का कार्य भी सरकार ने तत्परता से किया था।

गुरु तेग बहादुर ने विपरीत परिस्थितियों में भी नहीं छोड़ा धर्म का मार्ग

प्रधानमंत्री ने गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान को याद करते हुए कहा कि मुगल शासन की अत्याचारपूर्ण परिस्थितियों में भी गुरु साहिब अडिग रहे। उन्होंने बताया कि क्रूर यातनाओं और अपने साथियों के सामने शहीद किए जाने के बावजूद गुरु तेग बहादुर जी धर्म के मार्ग से नहीं डिगे और अंतत: अपने शीश का बलिदान दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका यह त्याग भारतीय संस्कृति और मानवता को सदियों तक प्रेरित करता रहेगा।

युवाओं में नशे की समस्या पर चिंता

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में युवाओं में बढ़ती नशे की प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि नशा केवल व्यक्ति को नहीं, पूरे समाज और परिवार को क्षति पहुंचाता है। इस चुनौती का समाधान केवल सामूहिक प्रयासों से ही संभव है। उन्होंने गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं को याद करते हुए कहा कि गुरु साहिब अन्याय, अत्याचार और सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाने की प्रेरणा देते रहे हैं।

ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में हाल के ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भारत शांति का समर्थक है और किसी के प्रति वैर नहीं रखता, लेकिन अगर कोई हमारी संप्रभुता को चुनौती देता है या नागरिकों पर हमला करता है, तो भारत उचित और कड़े जवाब में सक्षम है।