हरियाणा सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। अब तक 22 किसानों के रिकार्ड में “रेड एंट्री” दर्ज की जा चुकी है। इन किसानों को अगले दो सीजन तक अनाज मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर अपनी फसल बेचने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सरकार ने न केवल इन किसानों पर जुर्माना और एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिए हैं, बल्कि उन अधिकारियों से भी जवाब तलब किया जाएगा, जिन्होंने पराली जलाने के मामलों को रोकने में लापरवाही की। राहत की बात यह है कि पिछले साल की तुलना में इस साल अब तक कम पराली जली है, लेकिन त्योहारों के दौरान मामलों में बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है।

अभी तक प्रदेश में कुल 17 पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। चरखी दादरी में 15, जींद में 4, करनाल में 2 और फतेहाबाद में 1 किसान के खिलाफ कार्रवाई की गई है। धान-उत्पन्न जिलों में पराली जलाने को रोकने के लिए विशेष पराली प्रोटेक्शन फोर्स बनाई गई है।

इस टास्क फोर्स में पुलिसकर्मी, कृषि अधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं, जो खेतों की निगरानी करेंगे और किसानों को पराली जलाने से रोकेंगे। साथ ही, सेटेलाइट तकनीक का उपयोग कर खेतों की लगातार निगरानी की जा रही है। अब रात के अंधेरे में पराली जलाने वाले भी कार्रवाई से बच नहीं पाएंगे, क्योंकि सेटेलाइट से खेत में पड़ी राख का पता लगाया जा सकता है।

फसल अवशेष प्रबंधन योजना के तहत ग्राम, खंड और उपमंडल स्तर की निगरानी टीमों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हरसेक प्रणाली द्वारा प्रदत्त डेटा और लोकेशन की मदद से सतत निगरानी रखें। पराली जलाने की सूचना मिलने पर तुरंत मौके पर पहुंचकर कार्रवाई सुनिश्चित करें।

सरकार किसानों को जागरूक करने के लिए यह भी बता रही है कि वे पराली की गांठ बनाकर गोशालाओं को सौंप सकते हैं या पंचायत भूमि पर भंडारण कर 1,200 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर सकते हैं। इससे न केवल पराली निस्तारण आसान होगा बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय का अवसर भी मिलेगा।